सिविल सेवा कोचिंग सेंटर युवाओं को दे रहे हैं अफीम बेचने की जानकारी, लाखों युवक बेकार

मुंबई- प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने भारत में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की संस्कृति पर सवाल उठाए हैं। कोचिंग क्लास माफिया’ इस कल्‍चर को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका कहना है कि यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) परीक्षा में बैठने वाले 99.9% लोग असफल हो जाते हैं। यानी सफलता का रेट उद्यमियों की तुलना में भी कम है।

उन्होंने इस परीक्षा को जीवन का मुख्य लक्ष्य मानने के तर्क पर भी सवाल उठाया। उनका मानना है कि कोचिंग उद्योग जानबूझकर युवाओं को ऐसे जोखिम भरे रास्ते पर धकेलता है जिसका पेऑफ यानी व्यावसायिक लाभ बेहद कम है। वह इसे ‘अफीम बेचने’ जैसा बताते हैं। यह लाखों युवाओं को एक ऐसे सपने में उलझाए रखता है जिसके पूरे होने की संभावना लगभग न के बराबर है। वहीं, इसमें कोचिंग संस्थान भारी मुनाफा कमाते हैं।

यह स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ह्यूमन र‍िसोर्स यानी मानव पूंजी के अपव्यय का गंभीर मामला है। ऐसे समय में जब भारत को इनोवेशन, आंत्रेप्रेन्‍योरशिप और अलग-अलग सेक्‍टरों में विशेषज्ञता की जरूरत है, तब सबसे सक्षम युवा कई सालों तक एक ऐसी परीक्षा की तैयारी में लगे रहते हैं जो उन्हें मुश्किल से ही कोई नतीजा देती है। सफल होने वाले भी अक्सर अपने काम से पूरी तरह संतुष्ट नहीं होते। यह ‘आकांक्षा की गरीबी’ को दर्शाता है।

सान्याल ने एक पॉडकास्ट में कहा कि इतनी कम सफलता दर होने के बावजूद लोग इसे क्यों चुनते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को एलन मस्क बनने की कोशिश करनी चाहिए। सान्याल ने साफ किया कि उन्हें सिविल सर्वेंट बनने की इच्छा रखने वाले लोगों से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन, वे उन युवाओं के खिलाफ हैं जो सालों तक इस चक्र में फंसे रहते हैं। उन्होंने इसे मानव संसाधन की बर्बादी बताया है। मार्च 2024 के अंत में सान्याल ने यूपीएससी के प्रति क्रेज को लेकर चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि बहुत सारे युवा अपनी ऊर्जा यूपीएससी की परीक्षा पास करने में बर्बाद कर रहे हैं।

सान्याल ने तर्क दिया कि औसत के बजाय प्रतिभाशाली छात्र इस ‘जाल’ में फंस रहे हैं। परिवार प्रतिभाशाली छात्रों को ही दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहने और तैयारी करने के लिए भेजते हैं। इस तरह हम अपने सिस्टम से सर्वश्रेष्ठ लोगों को निकालकर ऐसी जगह लगा रहे हैं जहां 99.9% असफलता की दर है। सान्याल ने कोचिंग उद्योग पर भी निशाना साधा जो इस स्थिति का फायदा उठाता है। उन्होंने कहा कि यह उद्योग एक ‘कोचिंग क्लास माफिया’ चला जा रहा है। वो लोगों को ‘अफीम’ बेच रहा है।

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