अब बिना शुल्क के समय से पहले चुका सकते हैं फ्लोटिंग दर वाले लोन

मुंबई- अब प्रीपेमेंट के नाम पर भारी पेनाल्टी भरने से राहत मिलने वाली है। आरबीआई ने सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कहा है कि वे छोटे उद्यमों और व्यक्तिगत लोगों को दिए गए कर्ज पर समय से पूर्व भुगतान करने पर कोई शुल्क नहीं लगाएंगे। यह नियम एक जनवरी, 2026 के बाद लिए गए या फिर नवीनीकरण कराए गए कर्जों पर लागू होगा।

भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने बुधवार को जारी सर्कुलर में कहा, सूक्ष्म और छोटे कारोबारी यानी एमएसई और व्यक्तिगत लोगों के लिए आसान कर्ज मुहैया कराना जरूरी है। आरबीआई की समीक्षाओं में पता चला है कि एमएसई को कर्ज का पहले भुगतान करने पर ज्यादा शुल्क देना होता है। इससे कर्ज देने वाले संस्थान और ग्राहकों के बीच विवाद पैदा होता है। कुछ बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने लोन एग्रीमेंट में ऐसे नियम बनाए हैं जिससे उधार लेने वाला कम ब्याज दर या बेहतर शर्तों का लाभ उठाने के लिए किसी और संस्थान के पास नहीं जा सके।

आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि गैर व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तियों की ओर से लिए गए फ्लोटिंग रेट लोन पर कोई प्री पेमेंट शुल्क नहीं लगाया जाएगा। नया नियम सभी वाणिज्यिक बैंकों (पेमेंट्स बैंकों को छोड़कर), सहकारी बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों पर लागू होगा।

केंद्रीय बैंक ने कहा, नया नियम दोनों तरह के भुगतान पर लागू होगा। कर्जदार कर्ज का चाहे आंशिक या पूरा भुगतान करे। साथ ही, पुनर्भुगतान के लिए इस्तेमाल किए गए धन का स्रोत चाहे जो भी हो। इसके लिए बैंक या वित्तीय संस्थान कोई न्यूनतम लॉक-इन अवधि भी नहीं रख सकते हैं। इसका उद्देश्य ऋण देने की प्रथाओं को मानकीकृत करना और वित्तीय संस्थानों के बीच असंगत नीतियों के कारण उत्पन्न होने वाली ग्राहकों की शिकायतों को कम करना है।

आरबीआई ने कहा, इन नियमों के अंतर्गत न आने वाले मामलों में यदि कोई पूर्व-भुगतान शुल्क है तो उसे कर्ज स्वीकृति पत्र और उसके समझौते में स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। यदि कोई मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) लागू है, तो इन शुल्कों का भी वहां खुलासा किया जाना चाहिए। कोई भी अघोषित या पूर्व शुल्क की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि ऋणदाता खुद पूर्व भुगतान शुरू करता है तो कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा।

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