पर्यटकों के बढ़ने से सात साल में 10 लाख होटल रूम की होगी जरूरत

मुंबई- घरेलू स्तर पर पर्यटकों की बढ़ रही संख्या के कारण अगले सात साल में देश में होटलों में 10 लाख रूम की जरूरत होगी। इसके लिए हॉस्पिटालिटी सेक्टर अपने आप को तैयार कर रहा है। इससे 35 लाख को रोजगार मिलेगा। इसमें से 15-20 लाख नौकरियां छोटे शहरों में होगी, क्योंकि इन्हीं शहरों में फाइव स्टार होटल अपनी विस्तार की योजना बना रहे हैं।

रेडिसन होटल समूह के प्रबंध निदेशक निखिल शर्मा कहते हैं, विकसित भारत के लिए ट्रैवल और टूरिज्म एक नींव बन चुके हैं। बड़े देशों की अर्थव्यवस्था में जहां यह क्षेत्र 10 फीसदी योगदान देता है, वहीं हमारे यहां यह केवल दो से तीन फीसदी का योगदान करता है। देश में इस समय 3 स्टार से फाइव स्टार वाले केवल 1.85 लाख रूम हैं। जबकि न्यूयार्क, दुबई और सिंगापुर जैसे एक शहर में ही इससे ज्यादा रूम हैं। ऐसे में भारत में ब्रांडेड होटलों की बहुत ज्यादा जरूरत है।

उनके मुताबिक, ब्रांडेड होटल अब दूसरे, तीसरे और चौथे शहरों में जा रहे हैं, खासकर धार्मिक और सांस्कृतिक शहरों में। इसे देखते हुए रेडिसन समूह 2030 तक 300 होटल खोलने की योजना बना रहा है। इससे कुल होटलों की संख्या 500 हो जाएगी। 60 फीसदी होटल दूसरे, तीसरे और चौथे स्तर के शहर में होंगे। रेडिसन ऐसा होटल समूह है जो बजट से लेकर प्रीमियम प्रापर्टी में है। यह छोटे शहरों में इस समय ज्यादा विस्तार कर रहा है।

पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक, 2023 में 1.88 करोड़ विदेशी पर्यटक भारत आए। घरेलू स्तर पर 250 करोड़ पर्यटकों ने यात्रा की। इससे होटल उद्योग को रूम बढ़ाने की जरूरत हो गई है। हाल में कुंभ के दौरान जिस तरह से भीड़ उमड़ी है, उसे देखते हुए उत्तर भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक स्थानों पर आने वाले समय में ज्यादा पर्यटकों के आने की उम्मीद है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में 251 करोड़ पर्यटकों ने देश भर में यात्रा की। इसमें 47.83 करोड़ के साथ उत्तर प्रदेश शीर्ष पर रहा। उसके बाद तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक हैं। 2019 में 23 करोड़, 2020 में 61 करोड़, 2021 में 68 करोड़ और 2022 में 173 करोड़ घरेलू पर्यटकों ने यात्रा की थी। उत्तर भारत में पसंदीदा स्थानों में चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, पंजाब रहे हैं जहां 83 करोड़ पर्यटक आए।

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