सेबी ने स्टार्टअप के लिए इसॉप में दी राहत, आईपीओ और अन्य नियम भी बदले
मुंबई- सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने बोर्ड मीटिंग में कई बड़े फैसले लिए हैं। सेबी के चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने इस मीटिंग की अध्यक्षता की थी। सेबी का चेयरमैन बनने के बाद यह उनकी दूसरी बोर्ड मीटिंग थी।
सेबी ने स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ा ऐलान किया। अब स्टार्टअप्स के फाउंडर्स और कर्मचारी अपनी कंपनी के IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफर) के बाद भी अपने ESOP (एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन) को रख सकेंगे। पहले ये नियम सख्त थे, लेकिन अब इस छूट से स्टार्टअप्स को टैलेंट को आकर्षित करने और रखने में मदद मिलेगी। हालांकि, दुरुपयोग रोकने के लिए IPO से पहले एक साल का वेटिंग पीरियड रखा गया है।
सरकारी कंपनियों (PSU) के लिए डीलिस्टिंग (यानी स्टॉक मार्केट से हटने) के नियमों में ढील दी गई है। खासकर उन PSU के लिए, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 90% या उससे ज्यादा है। सेबी ने इसके लिए एक खास फ्रेमवर्क तैयार किया है, जिससे सरकार को ऐसी कंपनियों को डीलिस्ट करना आसान हो जाएगा।
सेबी ने फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए भी बड़ा कदम उठाया है। वो यह है कि जो FPI सिर्फ भारतीय सरकारी बॉन्ड्स (IGB) में निवेश करते हैं, उनके लिए रजिस्ट्रेशन और कंप्लायंस के नियम आसान कर दिए गए हैं। इसके लिए एक नई FPI कैटेगरी बनाई गई है, जिसे IGB-FPI कहा जाएगा। इससे विदेशी निवेशकों को भारत के बॉन्ड मार्केट में निवेश करना ज्यादा आसान हो जाएगा।
रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) और इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) को अब इक्विटी की तरह माना जाएगा। इसका मतलब है कि ये अब इक्विटी इंडेक्स में शामिल हो सकेंगे। साथ ही म्यूचुअल फंड्स को इनमें 20% तक निवेश की छूट दी गई है। इससे इनवेस्टर्स को रियल एस्टेट और इंफ्रा सेक्टर में निवेश के नए मौके मिलेंगे।
ऑल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स (AIFs) के लिए भी सेबी ने कई राहतें दी हैं। अब AIF मैनेजर्स अपने निवेशकों को को-इनवेस्टमेंट (यानी एक ही कंपनी में साथ मिलकर निवेश) का मौका दे सकेंगे। साथ ही AIF मैनेजर्स अब सभी तरह के निवेशकों को सलाह दे सकेंगे, भले ही उनका फंड उस कंपनी में इन्वेस्टेड हो या नहीं। इससे AIFs की ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ेगी।
सेबी ने नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (NSEL) घोटाले से जुड़े ब्रोकर्स के लिए एक सेटलमेंट स्कीम लाने का फैसला किया। इस स्कीम से पुराने लटके मामलों को सुलझाने में मदद मिलेगी। NSEL घोटाला कई सालों से चर्चा में है और इस कदम से 300 से ज्यादा शो-कॉज नोटिस वाले ब्रोकर्स को राहत मिल सकती है।