लगातार तीसरे साल घटी लोगों की बचत, जीडीपी की तुलना में 18 पर रह गई

मुंबई- भारत दुनिया की चौथी बड़ी इकॉनमी बन गया है लेकिन आम परिवारों की बचत लगातार तीसरे साल गिर गई है। केयरएज रेटिंग्स के अनुसार फाइनेंशियल ईयर 2024 में यह जीडीपी का 18.1% रह गई। इससे साफ है कि लोग पहले के मुकाबले कम पैसे बचा रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रॉस डोमेस्टिक सेविंग्स फाइनेंशियल ईयर 2015 में जीडीपी का 32.2 प्रतिशत थी जो FY24 में घटकर 30.7% रह गई है।

दूसरी तरफ परिवारों की वित्तीय देनदारियां बढ़ गई हैं। यह जीडीपी का 6.2% हो गई हैं। पिछले दस साल में यह लगभग दोगुनी हो गई है। इसका मतलब है कि लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा कर्ज ले रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लोग खर्च करने के लिए लोन पर ज्यादा निर्भर हैं।

हालांकि, ग्रामीण भारत में स्थिति थोड़ी बेहतर है। फरवरी में ग्रामीण पुरुषों की मजदूरी में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह लगातार चौथा महीना है जब ग्रामीण महंगाई दर से ज्यादा मजदूरी बढ़ी है। इसका मतलब है कि गांवों में लोगों की कमाई बढ़ी है।

खाने-पीने की चीजों की महंगाई कम होने और अच्छी फसल की उम्मीद से गांवों में मांग बढ़ रही है। गांवों में ग्राहकों का भरोसा लगभग 100 के आसपास है। इसका मतलब है कि लोग थोड़े आशावादी हैं। शहरों में ग्राहकों का भरोसा अभी भी कम है। लेकिन, रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले साल में शहरों और गांवों दोनों जगह लोगों को बेहतर उम्मीदें हैं।

बड़ी IT कंपनियों में कर्मचारियों की सैलरी बढ़ने की रफ्तार कम हो गई है। वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में यह 26% थी, जो वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में घटकर सिर्फ 4% रह गई है। इससे पता चलता है कि कंपनियां अब खर्च कम करने पर ध्यान दे रही हैं।

खाने के तेल (17.4%) और फलों (13.8%) की कीमतें अभी भी ज्यादा हैं। इस वजह से खाने-पीने की चीजों की महंगाई अभी भी काबू में है। आने वाली रबी की फसल, जलाशयों में पानी का अच्छा स्तर और सामान्य से ज्यादा बारिश की उम्मीद से खाने-पीने की चीजों की कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है।

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