रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति अटकने से ईवी सहित यात्री वाहनों के उत्पादन पर होगा बुरा असर
मुंबई- रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति में एक महीने से अधिक समय तक व्यवधान रहने से इलेक्ट्रिक सहित यात्री वाहनों के उत्पादन पर असर पड़ सकता है। इससे घरेलू ऑटोमोबाइल उद्योग की रफ्तार धीमी हो सकती है। क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, यदि चीन के निर्यात प्रतिबंध और आयात मंजूरी में देरी जारी रही तो कम लागत वाले लेकिन महत्वपूर्ण ये मैग्नेट देश के ऑटोमोटिव क्षेत्र के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं।
क्रिसिल की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, रेअर अर्थ मैग्नेट आपूर्ति में कमी ऐसे समय में आई है, जब ऑटो सेक्टर आक्रामक ईवी को रफ्तार देने की तैयारी कर रहा है। देश की ऑटो कंपनियों ने आने वाले समय में एक दर्जन से अधिक नए इलेक्ट्रिक मॉडल लॉन्च करने की योजना बनाई है। इनमें से अधिकांश पीएमएसएम प्लेटफॉर्म पर बनाए गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, अधिकांश वाहन निर्माताओं के पास वर्तमान में 4 से 6 सप्ताह का भंडार है, लेकिन लंबे समय तक मैग्नेट की आपूर्ति में देरी से वाहनों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। साथ ही, कंपनियों को ईवी मॉडलों के उत्पादन को जुलाई से टालना पड़ सकता है। यदि आपूर्ति संबंधी बाधाएं लंबे समय तक बनी रहीं तो दोपहिया वाहनों और आईसीई यात्री वाहन पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है।
क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक पूनम उपाध्याय ने कहा, इस मैग्नेट की कमी वाहन निर्माताओं को आपूर्ति श्रृंखला रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए मजबूर कर रही है। वाहन की लागत में 5 प्रतिशत से भी कम योगदान देने के बावजूद ये मैग्नेट ईवी मोटर और इलेक्ट्रिक स्टीयरिंग सिस्टम के लिए जरूरी हैं। संभावित समस्याओं से निपटने के लिए वाहन निर्माता कंपनियां वियतनाम, इंडोनेशिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं के साथ सक्रिय रूप से संपर्क कर रही हैं।
ईवी और आईसीई वाहनों में एप्लिकेशन के साथ लंबे समय तक आपूर्ति में कमी यात्री कारों और दोपहिया वाहनों के उत्पादन को बाधित कर सकती है। इससे यह मैग्नेट इस क्षेत्र के लिए ज्यादा असर डालने वाला बाधक बन सकता है। इन मैग्नेट का ज्यादा उपयोग इलेक्ट्रिक पावर स्टीयरिंग और अन्य मोटर चालित प्रणालियों तक ही सीमित है। इस वर्ष अप्रैल में दुनिया में मैग्नेट प्रमुख निर्यातक चीन ने सात तत्वों और तैयार मैग्नेट के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के साथ निर्यात लाइसेंस को अनिवार्य बना दिया था।
भारत ने पिछले वित्त वर्ष में 540 टन मैग्नेट का आयात किया था। इसमें से 80 प्रतिशत से अधिक चीन से आया था। लेकिन आपूर्ति पर असर से अब इसका असर दिखने लगा है। मई के अंत तक भारतीय कंपनियों के लगभग 30 आयात अनुरोधों को भारतीय सरकार ने मंजूर किया था। लेकिन अभी तक चीनी अधिकारियों ने किसी को भी मंजूरी नहीं दी है