एसईजेड नियमों में हुआ संशोधन, अब 10 हेक्टेयर भूमि की ही होगी जरूरत

मुंबई- केंद्र सरकार ने हाई टेक्नोलॉजी क्षेत्र में निवेश और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) नियमों में कई तरह का संशोधन किया है। इसके मुताबिक, अब सेमीकंडक्टर या इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों के विनिर्माण के लिए विशेष रूप से स्थापित किए जाने वाले एसईजेड को केवल 10 हेक्टेयर के न्यूनतम भूमि की जरूरत होगी। पहले 50 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होती थी।

संशोधन के मुताबिक, अब, निशुल्क आधार पर प्राप्त और आपूर्ति की गई वस्तुओं का मूल्य शुद्ध विदेशी मुद्रा (एनएफई) गणना में शामिल किया जाएगा। एसईजेड के नियम 18 में किए गए संशोधन के अनुसार, सेमीकंडक्टर की एसईजेड इकाइयों को भी लागू शुल्कों के भुगतान के बाद घरेलू टैरिफ क्षेत्र में घरेलू आपूर्ति की अनुमति दी जा सके।

इन संशोधनों से देश में उच्च तकनीक विनिर्माण और सेमीकंडक्टर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा। इससे देश में उच्च कौशल वाली नौकरियां पैदा होंगी। इन संशोधनों को वाणिज्य विभाग ने 3 जून को अधिसूचित किया है। इन क्षेत्रों में विनिर्माण के लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत होती है। साथ ही, यह सेक्टर आयात पर निर्भर है और लाभदायक बनने में लंबी अवधि लगती है। इसलिए इस संशोधन से क्षेत्र को फायदा होगा।

सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विनिर्माण के लिए एसईजेड स्थापित करने के लिए माइक्रोन सेमीकंडक्टर और हुबली ड्यूरेबल गुड्स क्लस्टर (एक्वस ग्रुप) के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। माइक्रोन गुजरात के साणंद में 37.64 हेक्टेयर क्षेत्र में 13,000 करोड़ रुपये और एक्वस कर्नाटक के धारवाड़ में 11.55 हेक्टेयर क्षेत्र में 100 करोड़ रुपये के निवेश से एसईजेड स्थापित करेगी।

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