यूपी में सीनियर अधिकारी का कोई मतलब नहीं, आईपीएस ने लिया वीआरएस

मुंबई- यूपी के सीनियर आईपीएस आशीष गुप्‍ता ने स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए अप्‍लाई किया था जो मंजूर हो गया है। 10 जून को उनका विदाई समारोह है। इस पर अखिलेश यादव ने योगी सरकार ने निशाना साधा है। अखिलेश का कहना है कि इस सरकार में कई वरिष्‍ठ आईपीएस महत्‍वपूर्ण पदों से वंचित रखे जा रहे हैं। उनके जूनियरों को प्रमोशन मिल रहा है। ऐसे में उनका मनोबल टूटता है और वे वीआरएस लेने पर मजबूर हो जाते हैं।

हाल ही राजीव कृष्‍ण को डीजीपी बनाए जाने पर भी अखिलेश ने हमला बोला था। राजीव कृष्‍ण को 11 वरिष्‍ठ अफसरों की तुलना में वरीयता देते हुए कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया है। अखिलेश यादव ने लिखा है- ‘ये चिंताजनक है कि उप्र पुलिस के वरिष्ठतम लोग, जो वर्तमान व्यवस्था में महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखे गये, वो इन अनैच्छिक परिस्थितियों में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेने पर मजबूर हैं।

भाजपा सरकार में जब वरिष्ठ-कनिष्ठ का कोई मतलब ही नहीं बचा है तो वरिष्ठता क्रम की सूची बनाने का क्या मतलब। वरिष्ठता में 1-2 के फेरबदल को तो कार्य के स्वरूप के आधार या किसी अन्य पैमाने पर उचित ठहराया भी जा सकता है लेकिन 10-12 के अंतर को नहीं। सामान्य रूप से किसी अधिकारी को किसी पद पर चुनने का आधार व्यक्तिगत पंसद, विचारधारा या सत्ता का अंदरूनी झगड़ा नहीं होना चाहिए बल्कि उस पद विशेष के लिए, अधिकारी की पदानुक्रमता के साथ-साथ योग्यता और अनुभव का समेकित संतुलित आधार होना चाहिए।

आईपीएस आशीष गुप्‍ता 1989 बैच के हैं। उनके रिटायर होने में अभी दो साल बचे थे। दिसंबर 2022 में उन्‍हें डेपुटेशन से यूपी भेजा गया। यूपी लौटने के बाद उनको साढ़े छह महीने तक वेटिंग में रखा गया। जून 2024 में उनको डीजी रूल्‍स एंड मैनुअल्‍स बना गया था।

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