यूनियन बैंक की एमडी को नहीं मिलेगा सेवा विस्तार, ईडी नितेश रंजन की भी होगी जांच
मुंबई। यूनियन बैंक ७.२५ करोड़ रुपये की किताबों के मामले में बुरे फंस गया है। एक ओर जहां बैंक की एमडी को सेवा विस्तार नहीं मिलेगा, वहीं दूसरी ओर इसके ईडी नितेश रंजन भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। एमडी ए मेनिमेखलाई का कार्यकाल जून में खत्म हो रहा है। जबकि रंजन के पास मार्केटिंग और खर्च वाला विभाग है जिसके पास से पुस्तक छापने वाले को पेमेंट किया गया है।
गौरतलब है कि नितेश रंजन लंबे समय तक यूनियन बैंक में जीएम रहे और फिर इसी बैंक में वे कार्यकारी निदेशक भी बन गए। वे लंबे समय से बैंक में ईडी हैं। ऐसे में वित्त मंत्रालय उनके विभाग से हुए खर्च के मामले में उनकी जांच कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, एमडी और ईडी दोनों जांच के घेरे में हैं।
‘इंडिया@100: एनविजनिंग टुमॉरोज़ इकनॉमिक पावरहाउस’ को के. वी. सुब्रमण्यन ने लिखा है। सुब्रमण्यन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) में भारत के नॉमिनी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी रहे। सरकार ने पिछले हफ्ते ही उनका कार्यकाल समय से पहले खत्म कर दिया। माना जा रहा है कि किताब के प्रमोशन में अनियमितताएं भी उन्हें हटाए जाने का एक कारण था।
बैंक के सपोर्ट सर्विसेज डिपार्टमेंट ने अपने 18 जोनल हेड्स को बताया कि टॉप मैनेजमेंट ने किताब की हार्ड कवर और पेपरबैक संस्करणों को पूरे भारत में ग्राहकों, कंपनियों, स्थानीय स्कूलों, कॉलेजों और पुस्तकालयों में वितरित करने का फैसला किया है। ये सर्कुलर जून और जुलाई 2024 में किताब के प्रकाशन से पहले जारी किए गए थे।
सर्कुलर के मुताबिक, मैनेजमेंट ने 189,450 पेपरबैक प्रतियां (प्रत्येक 18 जोनल ऑफिस द्वारा 10,525 प्रतियां) ₹350 में और 10,422 हार्डकवर प्रतियां ₹597 में खरीदने का फैसला लिया गया है। इस ऑर्डर की कुल राशि ₹7.25 करोड़ होगी। जोनल ऑफिसेज को आगे इन प्रतियों को अपने रीजनल ऑफिसेज में वितरित करने का निर्देश दिया गया था।
जब ऑफिस एडवाइस भेजा गया, तो इस खरीद के लिए 50% एडवांस प्रकाशक रूपा पब्लिकेशंस को पहले ही दिया जा चुका था। ऑफिस एडवाइस में कहा गया कि बाकी का भुगतान संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा miscellaneous विविध हेड के तहत उपलब्ध राजस्व बजट से किया जाना चाहिए।
जब इस खर्च (रूपा को 50% एडवांस) को बैंक के दिसंबर में हुई बोर्ड मीटिंग में मंजूरी के लिए लाया गया तो इसके एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नितेश रंजन (जो मार्केटिंग और प्रचार जैसे विभागों को देखते हैं) ने कहा कि उन्हें इस खरीद के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने इस खर्च को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
बोर्ड ने सपोर्ट सर्विसेज डिपार्टमेंट के जनरल मैनेजर गिरिजा मिश्रा को यह भुगतान खुद ही करने के लिए अधिकृत करने के अधिकार पर सवाल उठाया। लगभग एक हफ्ते बाद पिछले साल 26 दिसंबर को उन्होंने मिश्रा को निलंबित कर दिया।