2024 में देश में बिका 800 टन सोना, 1992 में यह केवल 340 टन ही था
मुंबई- इस साल, 30 अप्रैल को देशभर में अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। पिछले तीन दशकों में भारत और सोने का यह रिश्ता और भी मजबूत हुआ है। 2024 में भारत में सोने की मांग 800 टन से ज्यादा रही। वहीं, 1992 में यह 340 टन थी। देश के बदलते आर्थिक हालात, लोगों की बढ़ती आय और सांस्कृतिक मान्यताओं ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता बना दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में भारत दुनियाभर में सोने के आभूषणों का सबसे बड़ा उपभोक्ता बनकर उभरा है, जहां सालाना खपत 563 टन से भी ज्यादा रही और इसकी कुल मांग की कीमत ₹3.6 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गई।
भारत में सोना सिर्फ आभूषण (सजने-संवरने) के लिए नहीं, बल्कि एक मजबूत निवेश विकल्प के रूप में भी देखा जाता है। शहरों से लेकर गांवों तक, लोग सोने को अपनी दौलत बढ़ाने का एक भरोसेमंद तरीका मानते हैं। यही वजह है कि भारत में सोने के सिक्कों और बिस्किट्स की मांग तेजी से बढ़ी है। 2024 में इस तरह के निवेश में भारत ने लगभग 239 टन सोना खरीदा, जो दुनिया में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।
2024 में सोने के सिक्कों और बिस्किट्स की मांग ₹1.5 लाख करोड़ के आसपास रही। यह 2023 के मुकाबले 60% ज्यादा है, जो दिखाता है कि भारत में सोने में निवेश करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले पांच वर्षों में गोल्ड ईटीएफ होल्डिंग्स 21 टन से बढ़कर 63 टन से ज्यादा हो गई है। यह दिखाता है कि भारत में लोग पारंपरिक तरीकों जैसे आभूषण या फिजिकल गोल्ड खरीदने के अलावा अब निवेश के लिए गोल्ड ईटीएफ जैसे डिजिटल माध्यमों को भी तेजी से अपना रहे हैं। मार्च 2020 से मार्च 2025 के बीच भारत में गोल्ड ईटीएफ फोलियो की संख्या में 13 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई है।