आतंकियों ने पहलगाम में हत्या के बाद महिला से बोला मोदी से बोल देना
मुंबई- जम्मू कश्मीर में मशहूर टूरिस्ट प्लेस पहलगाम में मंगलवार दोपहर को बड़ा टेरर अटैक हो गया। यहां आतंकवादियों ने टूरिस्टों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। आतंकवादियों की संख्या तीन से चार बताई जा रही है जो सेना और पुलिस जैसी वर्दी में थे। सभी के पास एके-47 और अन्य हथियार थे। 26 लोगों की मौत हो गई है। इनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल हो सकते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि हमले के तुरंत बाद पूरे जम्मू-कश्मीर में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव, आईबी चीफ, सीआरपीएफ और बीएसएफ डीजी, आर्मी के टॉप अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग की। इस हाई लेवल मीटिंग के तुरंत बाद गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना हो गए।
पूरे इलाके में 15 मुख्य पाइंट से घेराबंदी की गई है। आतंकवादियों की तलाश में खोजी कुत्ते, ड्रोन और हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। पूरे इलाके में सीआरपीएफ, बीएसएफ और आर्मी समेत जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बड़े स्तर पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान समर्थिक आतंकवादी ग्रुप लश्कर-ए-तैबा के मुखौटा टेरर ग्रुप ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ यानी टीआरएफ की तरफ से इस हमले की जिम्मेदारी ली है। लेकिन जांच की जा रही है कि इसके पीछे टीआरएफ ही है या फिर लश्कर या कोई और। टीआरएफ ने एक पेज के अपने संदेश में यह भी लिखा है कि जम्मू-कश्मीर में गैर स्थानीय लोगों को बसाया जा रहा है। यहां अवैध रूप से बसने की कोशिश करने वाले बाहरी लोगों के खिलाफ ऐसे ही हिंसा की जाएगी।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि जिस जगह यह हमला हुआ। वहां सड़क मार्ग नहीं है। वहां पैदल और खच्चरों से ही आया-जा सकता है। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हमला साउथ कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में बैसरन घाटी के पास उंचाई पर हुआ है।
टूरिस्टों पर यह आतंकी हमला मिनी स्विटजरलैंड कहे जाने वाले बैसरन इलाके में मंगलवार दोपहर करीब तीन बजे हुआ। बताया जा रहा है कि आतंकी बैसरन घाटी के पहाड़ से नीचे उतरे और वहां घुड़सवारी करते टूरिस्टों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। वह आर्मी की वर्दी में थे। हमले में कुछ स्थानीय लोग और घोड़ों को भी गोली लगी है। सूत्रों का कहना है कि हमले में अपना पति खो चुकी महिला का दावा है कि आतंकवादियों ने धर्म पूछकर गोली मारी। यह हमला पवित्र अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होने से पहले सोचविचाकर किया गया लगता है। आतंकवादियों ने यह सुनिश्चित किया कि यहां कितनी फोर्स लगी है। फिर मौका देखकर उन्होंने लोगों को टारगेट किया।
हमले में मारे गए कर्नाटक के कारोबारी मंजूनाथ की पत्नी ने क्रूरता को बयां किया है। मंजूनाथ की पत्नी पल्लवी के सामने ही आतंकियों ने उनके पति को गोली मार दी। एक टीवी चैनल से बातचीत में पल्लवी ने बताया कि मैंने आतंकियों से कहा, मेरे पति को मार दिया, मुझे भी मार दो। इस पर आतंकी बोले तुम्हें नहीं मारेंगे, जाओ मोदी को बता दो। मंजूनाथ कर्नाटक के शिवमोगा के रहने वाले थे। कर्नाटक के दंपती का आखिरी वीडियो भी सामने आया है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद कर्नाटक के इस कारोबारी का अपनी पत्नी के साथ का अंतिम वीडियो भी सामने आया है। यह सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह वीडियो श्रीनगर की डल झील का है। इसमें अपनी पत्नी के साथ मौजूद कर्नाटक के कारोबारी मंजूनाथ कश्मीर के दौरे के बारे में बता रहे हैं। मंजूनाथ ने यह वीडियो ट्रेवल एक्पीरियंस के तौर पर बनाया है। इसमें मंजूनाथ किसी काजल मैम का अच्छी ट्रिप और इंतजाम के लिए शुक्रिया भी अदा कर रहे हैं।
भारी हथियारों से लैस आतंकवादी बैसरन की घाटी से निकले और करीब 40 पर्यटकों के समूह को घेर लिया। आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें करीब 26 लोग मारे गए और कम से कम 20 अन्य घायल हो गए।
प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि जैसे ही गोलियां चलनी शुरू हुईं। पर्यटन से आजीविका कमाने वाले मुट्ठी भर स्थानीय लोग जान बचाने के लिए भाग गए, जिससे पर्यटक बेबस होकर रह गए। एक महिला ने फोन पर बताया कि मेरे पति को सिर में गोली मारी गई… उन्हें मुसलमान न होने की वजह से गोली मारी गई। हमले में सात अन्य लोग घायल हुए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि चूंकि घास के मैदानों तक केवल पैदल या खच्चरों से ही पहुंचा जा सकता है, इसलिए अधिकारियों को घायलों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टर बुलाना पड़ा। हालांकि, हेलीकॉप्टर के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही स्थानीय लोगों ने कुछ घायलों को अपने खच्चरों पर लादकर नीचे उतार लिया था। स्थानीय पर्यटक गाइडों और टट्टूवालों ने जीवित बचे लोगों को सांत्वना दी, साथ ही उन्होंने घायल पर्यटकों को अपने कंधों पर उठाकर निकटतम वाहन योग्य स्थान तक पहुंचाने के लिए और लोगों को बुलाया।
वर्ष 2000 में पहलगाम स्थित अमरनाथ आधार शिविर पर हुए आतंकवादी हमले में 30 से अधिक लोग मारे गए थे और 60 अन्य घायल हुए थे। इसके एक वर्ष बाद शेषनाग में अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हुए हमले में 13 लोग मारे गए थे और 15 अन्य घायल हुए थे, जबकि वर्ष 2002 में पहलगाम क्षेत्र में हुए एक अन्य हमले में 11 लोग मारे गए थे।