डीबीटी से पिछले 10 साल में बचाए गए 3.48 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा

मुंबई- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण यानी डीबीटी सिस्टम के तहत लीकेज में कमी आने के साथ पिछले 10 वर्षों में कुल 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। इस व्यवस्था के शुरुआत के बाद से लाभार्थी कवरेज 11 करोड़ से 16 गुना बढ़कर 176 करोड़ हो गया है। लीकेज को रोकने के लिए इस सिस्टम के तहत पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजा जाता है।

एक अध्ययन के मुताबिक, डीबीटी ने लीकेज पर अंकुश लगाने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के साथ फंड वितरण को लेकर सटीकता सुनिश्चित की है। पॉलिसी दस्तावेज में कहा गया है कि वेलफेयर एफिसिएंसी इंडेक्स 2014 में 0.32 से बढ़कर 2023 में 0.91 हो गया है। यह इंडेक्स राजकोषीय और सामाजिक लाभों को मापता है

दस्तावेज के अनुसार, 2009-10 में कल्याण बजट में 2.1 लाख करोड़ रुपये से 2023-24 में 8.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि के बावजूद सब्सिडी आवंटन में गिरावट दर्ज की गई है, जो कि डीबीटी की सफलता को दर्शाता है। खाद्य सब्सिडी कुल बचत का 53 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि मनरेगा और पीएम-किसान जैसे कार्यक्रमों के तहत समय पर मजदूरी हस्तांतरण कर 22,106 करोड़ रुपये की बचत हासिल की गई।

आधार-लिंक्ड सत्यापन ने फर्जी लाभार्थियों को कम करने में मदद की। इससे राजकोषीय खर्च के बिना कवरेज का विस्तार हो पाया। अध्ययन में कहा गया है कि लीकेज को कम करने के लिए एआई का उपयोग किया जाना चाहिए।

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