कर्मचारियों के भेदभाव को लेकर अमेरिका में टीसीएस की हो रही जांच

मुंबई- भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी टीसीएस ने अमेरिका में कर्मचारियों की जाति, आयु और राष्ट्रीय मूल के आधार पर उनके साथ भेदभाव किया है। यह राष्ट्रपति बाइडेन प्रशासन के दौरान शुरू हुआ और ट्रंप के कार्यकाल में भी जारी रहा। अमेरिकी समान रोजगार अवसर आयोग दर्जनों अमेरिकी श्रमिकों के इन आरोपों की जांच कर रहा है।

जिन पूर्व कर्मचारियों ने टीसीएस पर उपरोक्त आरोप लगाया है, वे गैर दक्षिण एशियाई जातीय पृष्ठभूमि से 40 वर्ष से अधिक आयु के हैं। इनका आरोप है कि कंपनी ने उन्हें छंटनी के लिए निशाना बनाया, लेकिन भारतीय कर्मियों को नहीं छोड़ा, जिनमें से कुछ एच-1बी कुशल कर्मचारी वीजा पर काम कर रहे थे। इन सभी ने 2023 के अंत में टीसीएस के खिलाफ शिकायत दर्ज करना शुरू किया था।

इन आरोपों पर टीसीएस प्रवक्ता ने कहा, गैरकानूनी भेदभाव करने के आरोप निराधार और भ्रामक हैं। टीसीएस का अमेरिका में समान अवसर प्रदान करने वाले नियोक्ता होने का एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है, जो हमारे संचालन में ईमानदारी और मूल्यों को अपनाता है। ब्रिटेन में तीन पूर्व टीसीएस कर्मचारियों ने एक रोजगार न्यायाधिकरण के समक्ष इसी तरह के दावे किए हैं। इसमें कहा गया है कि कंपनी ने 2023 में छंटनी कार्यक्रम के तहत उनकी उम्र और राष्ट्रीयता के आधार पर उनके साथ भेदभाव किया।

टीसीएस के वैश्विक मानव संसाधन प्रमुख मिलिंद लक्कड़ ने हाल में कहा कि अमेरिका में टीसीएस के लगभग 70 फीसदी कर्मचारी अमेरिकी थे, लेकिन कंपनी भारत में अपने कर्मचारियों को अवसर प्रदान करने के लिए इस संख्या को घटाकर 50 फीसदी करना चाहेगी।

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