मुंबई के इस पॉश इलाके में 4 महले के बंगले में रहते थे रतन टाटा, अब खाली

मुंबई- टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के निधन के बाद उनके कोलाबा स्थित बंगले ‘हलेकई’ को लेकर अटकलें तेज हैं। सूत्रों के मुताबिक, रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा अपने परिवार के साथ यहां रहने आ सकते हैं। रतन टाटा ने अपनी जिंदगी के आखिरी साल इसी बंगले में बिताए थे।

टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा भविष्य में हलेकई में शिफ्ट हो सकते हैं। भले ही वह तुरंत ऐसा न करें। नोएल अपने मौजूदा घर विंडमेरे, कफ परेड में रहते हैं। हलेकई 13,350 वर्ग फीट के प्लॉट पर बना एक चार मंजिला बंगला है। यह इवार्ट इन्वेस्टमेंट्स के स्वामित्व में है। यह टाटा संस की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।

रतन टाटा को यह बंगला 2012 में टाटा संस के चेयरमैन पद से रिटायर होने के बाद आवंटित किया गया था। वह यहां अपने जर्मन शेफर्ड कुत्तों और घरेलू कर्मचारियों के साथ रहते थे। इस दौरान वह टाटा ट्रस्ट्स के काम पर ध्यान देते थे।

रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में आर्किटेक्चर की पढ़ाई की थी। 1962 में टाटा ग्रुप में शामिल होने से पहले उन्होंने कुछ समय के लिए एक आर्किटेक्ट के रूप में भी काम किया। उन्होंने आर्किटेक्ट रतन बाटलीबोई के साथ मिलकर हलेकई को डिजाइन किया था। अक्टूबर 2024 में उनकी मौत के बाद से यह बंगला खाली पड़ा है।

रविवार को पारसी परंपरा के अनुसार छह महीने बाद मनाई जाने वाली ‘छमसी’ प्रार्थना समारोह के समापन के साथ कुछ लोगों का मानना है कि नोएल टाटा अब यहां शिफ्ट होने पर विचार कर सकते हैं। अन्य टाटा चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के बंगलों को उनकी मौत के बाद स्थायी रूप से नहीं भरा गया है।

जेआरडी टाटा का दो मंजिला स्कॉटिश शैली का मकान ‘द केयर्न’ अल्टमाउंट रोड पर स्थित था। इसे टाटा संस ने 50 करोड़ रुपये में खरीदा था। जुहू बंगला, जो जेडब्ल्यू मैरियट होटल के पास स्थित है और पहले नवल टाटा (नोएल और रतन के पिता) के स्वामित्व में था, वह भी खाली है। लोगों के अनुसार, इन दोनों प्रॉपर्टियों का इस्‍तेमाल कभी-कभी टाटा ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारी या परिवार के दोस्त करते हैं।

नोएल टाटा वर्तमान में अपनी पत्नी अलू मिस्त्री और उनके परिवार के साथ विंडमेरे में रहते हैं। यह कफ परेड में एक छह मंजिला इमारत है। यह संपत्ति अलू और उनकी बहन लैला जहांगीर को उनके पिता पलोनजी मिस्त्री से विरासत में मिली थी। पलोनजी मिस्त्री शापूरजी पलोनजी ग्रुप के पूर्व चेयरमैन थे। पलोनजी 1980 के दशक तक विंडमेरे में रहे। फिर वह वालकेश्वर में स्टर्लिंग बे में चले गए। अलू के पास इमारत में छह अपार्टमेंट हैं। इनमें से प्रत्येक मंजिल 6,000 वर्ग फीट में फैली हुई है।

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