आरबीआई के इस कदम से बैंकों के कर्ज में आ सकती है 11 फीसदी की तेजी

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति में ढील देने के लिए उठाए गए कदमों से 2025-2026 में कर्ज 10.8 फीसदी बढ़कर 20.5 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। एक साल पहले यह 19 लाख करोड़ रुपये था। रेटिंग एजेंसी इक्रा की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे उपायों में रेपो रेट में कटौती, लिक्विडिटी कवरेज अनुपात फ्रेमवर्क में प्रस्तावित बदलावों को स्थगित करना और इन्फ्रा परियोजनाओं पर अतिरिक्त प्रावधान शामिल हैं।

इक्रा ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा, जमा जुटाने में लगातार चुनौतियां, उच्च ऋण जमा अनुपात, असुरक्षित खुदरा और छोटे व्यवसाय ऋणों में बढ़ते तनाव कर्ज वृद्धि पर बाधा बने रहेंगे। आरबीआई के विकास समर्थक रुख ने वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआती अवधि में धीमी ऋण वृद्धि को चौथी तिमाही में फिर से बढ़ा दिया है। पिछले कुछ वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रतिस्पर्धी मूल्य पर जमाराशि, खास तौर पर खुदरा जमाराशि जुटाना है।

फरवरी, 2025 से रेपो दरों में 0.75 फीसदी की कटौती की उम्मीद है। ऐसे में वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन में 0.15 फीसदी से 0.17 फीसदी की कमी आ सकती है। इस दौरान लाभप्रदता में गिरावट आएगी। परिसंपत्तियों और इक्विटी पर रिटर्न क्रमशः 1.1-1.2 प्रतिशत और 12.1-13.4 प्रतिशत पर रहेगा।

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