जर्मनी को पीछे छोड़ 2028 तक भारत बनेगा तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
मुंबई- भारत 2028 तक जर्मनी को पीछे छोड़ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उस समय दुनिया का सबसे अधिक मांग वाला उपभोक्ता बाजार बनने के साथ भारत वैश्विक उत्पादन में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी हासिल करेगा। मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, 2023 में 3.5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था से बढ़कर देश 2026 में 4.7 लाख करोड़ डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, 2026 में अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। 2028 में जब यह जर्मनी को पीछे छोड़ेगा, उस समय इसकी अर्थव्यवस्था का आकार 5.7 लाख करोड़ डॉलर होगा। भारत 1990 में दुनिया की 12वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, जो 2000 में 13वें स्थान पर खिसक गया। 2020 में 9वें स्थान पर तथा 2023 में 5वें स्थान पर पहुंच गया।
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भारत की हिस्सेदारी 2029 में 3.5 प्रतिशत से बढ़कर 4.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। इसके विकास के तीन चरण होंगे। मंदी के मामले में देश की अर्थव्यवस्था 2025 में 3.65 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 2035 तक 6.6 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगी। आधार यानी बेस मामले में बढ़कर 8.8 लाख करोड़ डॉलर और तेजी के मामले में यह 10.3 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगी।
मॉर्गन स्टेनली ने कहा, प्रति व्यक्ति जीडीपी 2025 में 2,514 डॉलर से बढ़कर 2035 में मंदी के मामले में 4,247 डॉलर, बेस मामले में 5,683 तथा तेजी के मामले में 6,706 डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। आने वाले दशकों में भारत की वैश्विक उत्पादन में हिस्सेदारी बढ़ेगी। इसके पीछे मजबूत आधारभूत कारक हैं। इनमें मजबूत जनसंख्या वृद्धि, वृहद स्थिरता से प्रभावित नीति, बेहतर बुनियादी ढांचा और एक उभरता हुआ उद्यमी वर्ग है।
यह एक बड़े ऊर्जा परिवर्तन से गुजरेगा। जीडीपी में ऋण बढ़ेगा। विनिर्माण जीडीपी में हिस्सेदारी बढ़ा सकता है। विकास में सुधार होने की संभावना है। कुछ महीने पहले की तुलना में उच्च आवृत्ति संकेतक स्पष्ट रूप से बेहतर हैं। सेवा निर्यात में सुधार के साथ राजकोषीय और मौद्रिक नीति समर्थन पर मंदी के बाद विकास में सुधार होगा। 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर 6.3 प्रतिशत तथा अगले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2026-27 में महंगाई 4.3 प्रतिशत रहेगी, जो वित्त वर्ष 2025 के 4.9 प्रतिशत से कम है।
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, उपभोग में सुधार बड़े पैमाने पर होने की उम्मीद है, क्योंकि आयकर में कटौती से शहरी मांग बढ़ेगी। इससे ग्रामीण उपभोग में तेजी को समर्थन मिलेगा। सरकारी और घरेलू पूंजीगत खर्च ने निवेश की वृद्धि को रफ्तार दी है। निजी कॉरपोरेट पूंजीगत खर्च में धीरे-धीरे सुधार हुआ। सेवाओं के निर्यात में मजबूती श्रम बाजार के लिए अच्छा संकेत है। महंगाई में नरमी भी है। इससे खरीदी की शक्ति में सुधार होने की संभावना है।