सेबी का नियम- एसएमई आईपीओ के नियम सख्त, एक करोड़ होना चाहिए लाभ

मुंबई- छोटे और मझोले उद्योग यानी एसएमई आईपीओ के लिए सेबी ने अब नियम सख्त कर दिया है। नए नियम के मुताबिक, इश्यू लाने वाली कंपनियों का पिछले तीन वित्त वर्षों में से दो वित्त वर्ष में कम से कम परिचालन मुनाफा एक करोड़ रुपये होना चाहिए। साथ ही, ऑफर फॉर सेल के तहत प्रमोटर्स 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सा नहीं बेच सकता है।

सेबी ने सर्कुलर में कहा, एसएमई आईपीओ के लिए न्यूनतम आवेदन आकार को बढ़ाकर दो लॉट किया गया है। इससे एसएमई आईपीओ को लेकर अनावश्यक अटकलों पर विराम लगेगा। भोले-भाले निवेशकों के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी, जो आमतौर पर शेयर की बढ़ती कीमत को देखकर निवेश करते हैं। विक्रेता शेयरधारकों को अपनी मौजूदा हिस्सेदारी के 50 प्रतिशत से अधिक बिक्री की अनुमति नहीं होगी।

नियमों को सख्त करने का मकसद निवेशकों के हितों की रक्षा करते हुए अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले एसएमई को जनता से फंड जुटाने का अवसर प्रदान करना है। यह कदम एसएमई के इश्यू की बढ़ती संख्या के बाद उठाया गया है, जिसने महत्वपूर्ण निवेशक भागीदारी को बढ़ावा दिया है। एसएमई आईपीओ में गैर-संस्थागत निवेशकों (एनआईआई) के लिए आवंटन पद्धति में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए शेयर बाजार के मुख्य प्लेटफॉर्म पर आईपीओ के लिए अपनाए गए दृष्टिकोण के अनुरूप बनाया जाएगा।

आईपीओ लाने वाली कंपनियों को समाचार पत्रों में घोषणाएं प्रकाशित करने और मसौदा तक आसान पहुंच के लिए एक क्यूआर कोड भी देना होगा। एसएमई आईपीओ में सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्य (जीसीपी) के लिए आवंटित राशि कुल निर्गम आकार का 15 प्रतिशत या 10 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, पर सीमित की गई है। निर्गम से प्राप्त आय का उपयोग प्रर्वतकों, प्रवर्तक समूह या संबंधित पक्षों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए करने की अनुमति नहीं होगी।

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