पांच साल में पहली बार हो सकती है रेपो दर में कटौती, सात फरवरी को फैसला
मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पांच साल में पहली बार रेपो दर में कटौती कर सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि 7 फरवरी को होने वाली अपनी घोषणा में केंद्रीय बैंक इसका फैसला कर सकता है। हालांकि, पिछले दो वर्षों से रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह जस की तस है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 5-7 फरवरी तक होगी। विश्लेषकों का मानना है कि उपभोग आधारित मांग को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बैंक दरों को घटाने का फैसला कर सकता है। हालांकि रुपये में गिरावट चिंता का विषय बनी हुई है। चूंकि खुदरा महंगाई पिछले वर्ष अधिकांश समय रिजर्व बैंक के शीर्ष लक्ष्य 6 फीसदी के भीतर बनी हुई है, ऐसे में सुस्त खपत से प्रभावित विकास को बढ़ावा देने के लिए दर घट सकती है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, इस बार दो वजहों से दर घटने की संभावना ज्यादा है। पहली आरबीआई ने पहले ही तरलता बढ़ाने के उपायों की घोषणा की है, जिससे बाजार की स्थिति में सुधार हुआ है। 27 जनवरी को बैंकिंग प्रणाली में 1.5 लाख करोड़ रुपये की तरलता डालने के उपायों की घोषणा की है। इससे ऐसा लगता है कि दरों में कटौती के लिए यह एक शर्त थी। दूसरा, बजट ने प्रोत्साहन प्रदान किया है और इसका समर्थन करने के लिए रेपो दर को कम करना उचित हो सकता है।
उन्होंने कहा, हम विशेष रूप से विकास के पूर्वानुमान में कुछ बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जीडीपी वृद्धि दर का 6.4 प्रतिशत का अनुमान लगाया था। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, हमारा मानना है कि इस बार दर में कटौती के पक्ष में पलड़ा झुका हुआ है।
आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। उससे पहले कोरोना में दरें लगातार घटाई गईं थीं और फिर धीरे-धीरे बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया। नए गवर्नर संजय मल्होत्रा अपनी पहली एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।