नई कर व्यवस्था में टैक्स छूट सीमा बढ़ाकर 5 लाख हो, आयकर विवाद में फंसे हैं 31 लाख करोड़
मुंबई- आगामी बजट में नई कर व्यवस्था में टैक्स छूट सीमा को तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने पर सरकार को विचार करना चाहिए। साथ ही, दरों को कम करने की जरूरत है। आम करदाताओं को व्यक्तिगत कर राहत पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अर्न्स्ट एंड यंग यानी ईवाई इंडिया ने कहा, आयकर विवाद में 2023-24 तक 31 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 9.6 प्रतिशत) फंसे हैं, जिनको सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए।
ईवाई इंडिया ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा, अनुपालन बोझ को कम करने के लिए निकासी चरण तक पीएफ ब्याज दर (2.5 लाख से ऊपर) पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) को स्थगित करना चाहिए। पिछले बजट में टीडीएस दर को कुछ हद तक तर्कसंगत बनाया गया था। टीडीएस दर संरचना को कम दरों के साथ 3-4 श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि प्रत्यक्ष कर संहिता की पूर्ण समीक्षा में समय लग सकता है। व्यक्तिगत आयकर में कमी की भी उम्मीद है। विशेष रूप से निम्न-आय समूहों को राहत प्रदान करने और मांग को प्रोत्साहित करने के लिए फैसला किया जा सकता है। कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन प्लान (ईसॉप) कर स्थगन लाभ को सभी नियोक्ताओं तक बढ़ाने और बिक्री स्तर पर कर भुगतान की मंजूरी देनी चाहिए।
ईवाई ने कहा, कर प्रणाली को सरल बनाने और करदाता सेवाओं में सुधार बहुत जरूरी है। मुकदमेबाजी को कम करने और कर अनुपालन को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों की जरूरत है। लंबित कर विवादों को कम करने और आगे के विवादों से बचने के लिए प्राथमिकता के आधार पर उपाय करने चाहिए। सुरक्षित बंदरगाह जैसे अन्य विवाद निवारण विकल्पों को और अधिक आकर्षक बनाया जाना चाहिए।
रिपोर्ट में सुझाया गया है कि हैदराबाद, पुणे, बंगलूरू और अहमदाबाद जैसे दूसरे स्तर के शहरों में मकान किराया भत्ता (एचआरए) में 50 प्रतिशत की छूट दी जानी चाहिए। इससे कर में समानता मिलेगी। फिलहाल केवल चार मेट्रो शहरों में ही एचआरए पर 50 फीसदी की छूट मिलती है। बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट घाटे के उपाय सहित क्रिप्टोकरेंसी के कराधान के लिए स्पष्टता भी आनी चाहिए।
प्रमुख क्षेत्रों में सरकारी खर्च बढ़ाने, राजकोषीय घाटे कम करने, निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने और लक्षित कर सुधारों को शामिल करने पर जोर होना चाहिए। वित्त वर्ष 2026 में सतत विकास हासिल करने के लिए सरकार को राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत तक कम करने को प्राथमिकता देनी चाहिए।