जल आपूर्ति और स्वच्छता जैसी जरूरी सेवाओं के लिए नगर निगम लें शुल्क
मुंबई- नगर निगमों को गैर-कर राजस्व बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सेवाएं मुहैया कराने के लिए जल आपूर्ति व स्वच्छता जैसी जरूरी सेवाओं के लिए पर्याप्त उपयोगकर्ता शुल्क लेना चाहिए। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये उपाय अधिक पारदर्शी और जवाबदेह शासन प्रथाओं के साथ मिलकर नगर निगमों की वित्तीय सेहत को मजबूत करने में योगदान दे सकते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की नगर निगम पर 2019-20 से 2023-24 की रिपोर्ट में 232 नगर निगमों की राजकोषीय स्थिति पर विचार किया गया है। इसमें कहा गया है कि शुल्क लगाने से उच्च क्वालिटी वाली सार्वजनिक सेवाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। अगर ऐसा हो सका तो जनता के लिए बेहतर सेवाओं, मजबूत राजस्व और शहरी बुनियादी ढांचे के लगातार उन्नयन का एक चक्र शुरू होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, कर राजस्व पर बहुत सारी बाधाएं हैं। ऐसे में गैर कर स्रोत महत्वपूर्ण हैं। नगर निगम शुल्क और उपयोगकर्ता शुल्क से गैर कर राजस्व का 66.5 प्रतिशत कमाते हैं। इसमें कहा गया है कि शुल्क और उपयोगकर्ता शुल्क सभी नागरिक निकायों के लिए राजस्व के महत्वपूर्ण साधन हैं। विशेष रूप से महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और त्रिपुरा में जहां के स्रोत राजस्व में उनका हिस्सा संपत्ति कर से अधिक है।
यह सलाह इसलिए दी गई है, क्योंकि तेजी से शहरीकरण हो रहा है। पर्यटन स्थल बढ़े हैं जिससे जल आपूर्ति बढ़ी है। कचरा प्रबंधन और परिवहन जैसी जरूरत भी नगरपालिका सेवाओं की आपूर्ति में शामिल है।
भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) मैपिंग और डिजिटल भुगतान प्रणाली जैसी टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर संपत्ति कर संग्रह बढ़ाया जा सकता है। जल और जल निकासी करों, शुल्क और उपयोगकर्ता शुल्क में समय-समय पर संशोधन, रिसाव को रोकने के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग के साथ मिलकरराजस्व संग्रह को बेहतर बनाने में भी मदद मिल सकती है।
मुख्य गैर कर राजस्व स्रोतों में उपयोगकर्ता शुल्क, व्यापार लाइसेंस, लेआउट/ भवन मंजूरी, विकास शुल्क, बेहतरी शुल्क, बिक्री और किराया शुल्क, बाजार शुल्क, बूचड़खाना, पार्किंग, जन्म और मृत्यु पंजीकरण शुल्क शामिल हैं। कर राजस्व के स्रोतों में संपत्ति कर, खाली भूमि कर, जल लाभ कर, विज्ञापन कर, सीवरेज लाभ कर, पशुओं पर और गाड़ियों पर कर शामिल हैं।