सेबी के कर्मचारियों का हेडक्वार्टर पर प्रदर्शन, माधबी पुरी बुच को हकाला जाए
मुंबई- सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के सैकड़ों कर्मचारियों ने गुरुवार सुबह टॉप मैनेजमेंट के खिलाफ प्रदर्शन किया। कर्मचारियों का आरोप है कि टॉप मैनेजमेंट काम को लेकर दबाव बनाता है। कर्मचारी सेबी चीफ माधबी पुरी बुच का इस्तीफा मांग रहे हैं।
पिछले महीने सेबी के कर्मचारियों ने इस मामले में वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर टॉक्सिक वर्क कल्चर पर चिंता जताई थी। कर्मचारियों ने लीडरशिप पर कठोर भाषा का उपयोग करने, अनरियलिस्टिक टारगेट सेट करने और माइक्रोमैनेजमेंट का आरोप लगाया था।
आरोपों के सामने आने के बाद बुधवार को सेबी ने बयान जारी कर कहा कि कर्मचारियों को बाहरी तत्व गुमराह कर रहे हैं। SEBI ने कहा, कुछ कर्मचारी निगेटिव वर्क एनवायरमेंट की कहानी को हवा देकर संस्था से कुछ भी मनवाने की कोशिश कर रहे हैं।
कुछ कर्मचारियों के एक समूह ने जानबूझकर इस मुद्दे को वर्क एनवायरमेंट से जोड़ा। कर्मचारी हाउस रेंट अलाउंस (HRA) में 55% की बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। जूनियर अधिकारियों को उनके ग्रुप के बाहर मैसेज मिल रहे हैं, जो उन्हें उकसा रहे हैं। मैसेज में कहा जा रहा मीडिया में जाओ, मंत्रालय में जाओ, बोर्ड में जाओ।
मंगलवार को ZEE के फाउंडर सुभाष चंद्रा ने SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर पक्षपात, भ्रष्टाचार और अनैतिक व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि SEBI चेयरपर्सन भ्रष्ट हैं, क्योंकि सेबी में पद संभालने से पहले बुच और उनके पति की संयुक्त आय लगभग 1 करोड़ रुपए प्रति वर्ष थी, जो अब 40-50 करोड़ रुपए प्रति वर्ष हो गई है।
इससे पहले सोमवार को कांग्रेस पार्टी ने भी SEBI से जुड़े होने के दौरान बुच पर ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक SEBI में पूर्णकालिक सदस्य थीं। फिर 2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच SEBI की चेयरपर्सन बनीं।
SEBI की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली कैबिनेट में PM मोदी और अमित शाह शामिल हैं।’ उधर, ICICI ने आरोपों को नकार दिया और कहा, ‘बैंक से रिटायर होने के बाद माधवी को कोई सैलरी या एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन नहीं दिया गया। उन्होंने सिर्फ रिटायरमेंटल बेनिफिट्स लिए।’