अब डाक्यूमेंट के आधार पर बीमा कंपनियां खारिज नहीं कर पाएंगी क्लेम
मुंबई- भारत के बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने मंगलवार को कहा कि सामान्य बीमा कंपनियां ‘दस्तावेज की कमी’ के आधार पर किसी भी दावे को खारिज नहीं करेंगी। बीमा कंपनियों से कहा गया है कि वे ग्राहक को पॉलिसी जारी करने के दौरान ही सभी दस्तावेज एकत्रित करें।
नियामक ने एक वर्ष से कम अवधि की पॉलिसियों के लिए यह महत्त्वपूर्ण निर्देश दिया है। नियामक ने कहा कि कंपनियां एक वर्ष से कम अवधि की पॉलिसियों के दावे की सूचना या निपटान के संबंध में विस्तार की अवधि के साथ या नहीं के उपबंध या समयबद्ध तौर पर शर्तों व स्थितियों की समीक्षा के बिना उत्पाद शामिल करे।
नियामक का सामान्य बीमा उत्पादों के लिए मास्टर सर्कुलर तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। इसके अनुसार, ‘ग्राहक से केवल दावे से सीधे जुड़े दस्तावेज जमा करने के लिए कहा जा सकता है।’ ‘दावे के निपटान के समय ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट, फिटनेस, एफआईआर, अनट्रेस्ड रिपोर्ट, अग्निशमन रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, बहीखाता, माल रजिस्टर, दिहाड़ी रजिस्टर, मरम्मत बिल (केवल कैशलेस मौजूद नहीं होने की स्थिति में) की मांग जा सकती है।
नियामक ने बताया कि अगर वारंटी या शर्त का उल्लंघन नुकसान की प्रकृति या परिस्थिति से प्रासंगिक नहीं है तो बीमाकर्ता दावे को पूर्ण या आंशिक रूप से खारिज नहीं कर सकता है। इसी तरह यदि अनुमानित हानि नहीं बढ़ती है तो बीमाधारक की तरफ से देरी होने की स्थिति में दावा निरस्त नहीं हो सकता है।