अमीर-गरीब की खाई पाटने को 10 करोड़ की संपत्ति पर लगे दो फीसदी टैक्स
मुंबई- प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने असमानता से निपटने के लिए अतिरिक्त टैक्स लगाने का सुझाव दिया है। उनके मुताबिक, भारत को 10 करोड़ रुपये से अधिक की शुद्ध संपत्ति पर दो प्रतिशत और इसी मूल्य की संपत्ति पर 33 प्रतिशत विरासत कर लगाना चाहिए।
पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के पिकेटी ने कई लेखकों के साथ वर्किंग पेपर में लिखा, अमीरों और गरीबों के बीच बड़े अंतर से निपटने और महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्र में निवेश के लिए ज्यादा अमीरों पर टैक्स लगाना चाहिए। इस टैक्स व्यवस्था से 99.96 फीसदी लोग प्रभावित नहीं होंगे। अगर यह संभव होता है तो इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के राजस्व में 2.73 फीसदी का योगदान हो सकता है।
सुझाव में कहा गया है कि कराधान प्रस्ताव के साथ गरीबों, निचली जातियों और मध्यम वर्ग को समर्थन देने के लिए स्पष्ट पुनर्वितरण नीतियों की जरूरत है। उदाहरण के लिए शिक्षा पर वर्तमान सरकारी खर्च लगभग दोगुना हो जाएगा। यह पिछले 15 वर्षों में जीडीपी के 2.9 प्रतिशत पर स्थिर है। तय लक्ष्य छह फीसदी से यह काफी कम है। पेपर में कहा गया है कि कराधान प्रस्ताव पर बड़े पैमाने पर बहस की जरूरत है। इसमें भारत में कर न्याय और धन पुनर्वितरण पर व्यापक लोकतांत्रिक बहस से उभरने वाले विवरण पर आम सहमति हो।
सुझाव के मुताबिक, भारत में आय और धन असमानता पर हाल में जोरदार बहस हुई है। भारत में आर्थिक असमानताएं ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। इसमें कहा गया है कि इन चरम असमानताओं और सामाजिक अन्याय के साथ उनके घनिष्ठ संबंध को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
20 मार्च को जारी पेपर में पिकेटो के साथ कई लेखकों ने कहा, 2000 के दशक की शुरुआत से भारत में असमानता आसमान छू रही है। 2022-23 में शीर्ष एक फीसदी आबादी की आय और संपत्ति हिस्सेदारी क्रमशः 22.6 फीसदी और 40.1 फीसदी तक बढ़ी है। यह अपने उच्चतम ऐतिहासिक स्तर पर है। भारत की शीर्ष एक प्रतिशत आय हिस्सेदारी दुनिया में सबसे अधिक है। 2014-15 और 2022-23 के बीच शीर्ष स्तर की असमानता में वृद्धि विशेष रूप से धन जमाव के संदर्भ में स्पष्ट हुई है।