रामदेव की पतंजलि का विज्ञापन में झूठा दावा, कोर्ट ने लगाई जमकर फटकार
मुंबई- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई है। मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन पब्लिश करने को लेकर ये फटकार लगाई गई है। भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की थी।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा- पतंजलि आयुर्वेद को सभी झूठे और भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है।
इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैज़ुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं। बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।
बेंच ने भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि केंद्र सरकार को समस्या से निपटने के लिए एक व्यवहारपूर्ण समाधान ढूंढना होगा। कोर्ट ने सरकार से कंसल्टेशन के बाद कोर्ट में आने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 5 फरवरी 2024 को होगी।
पिछले साल भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ बयान देने के लिए बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी। उस समय के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने तब कहा था ‘बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना क्यों करनी चाहिए।