सहारा के 25,000 करोड़ रुपये जा सकते हैं सरकार के पास, ये है योजना
मुंबई- सरकार सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट के अनक्लेम्ड फंड को कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया में ट्रांसफर करने पर विचार कर रही है। इसमें बाद में दावा करने वाले निवेशकों को रिफंड का प्रावधान होगा। सहारा ग्रुफ के फाउंडर सुब्रत रॉय के निधन के बाद ये जानकारी सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, रिफंड अकाउंट स्थापित होने के बाद से पिछले 11 वर्षों में मुश्किल से ही कोई दावेदार सामने आया है। ऐसे में फंड का इस्तेमाल पब्लिक वेलफेयर के लिए भी किया जा सकता है। वहीं बीते दिनों सहारा की 4 को-ऑपरेटिव सोसाइटीज के निवेशकों का पैसा लोटाने के लिए ‘सहारा रिफंड पोर्टल’ भी लॉन्च किया गया था। शुरुआत 5 हजार करोड़ रुपए से की गई थी।
सुब्रत रॉय पर उनकी दो कंपनियों में नियमों के खिलाफ लोगों से पैसे निवेश करवाने का आरोप लगा था। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। दो साल तक तिहाड़ जेल में रहे और 2016 से वो पैरोल पर जेल से बाहर थे। 28 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को 24,400 करोड़ रुपए निवेशकों को लौटाने को कहा था। तब से लेकर आज तक यह केस चल रहा है।
ये केस सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड से जुड़ा है। 30 सितंबर 2009 को सहारा ग्रुप की कंपनी प्राइम सिटी ने IPO के लिए SEBI के पास DRHP दायर किया था। DRHP के एनालिसिस में SEBI को रियल एस्टेट और हाउसिंग कंपनियों की फंड जुटाने की प्रोसेस में कमी मिली।
25 दिसंबर 2009 और जनवरी 2010 को सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) को शिकायतें मिलीं की दोनों कंपनी OFCDS से पैसे जुटा रही हैं। OFCDS यानी ऑप्शनली फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर। ये डेट सिक्योरिटीज होती हैं जो जारीकर्ता को पूंजी जुटाने की अनुमति देती हैं और बदले में जारीकर्ता मैच्योरिटी तक निवेशक को ब्याज का भुगतान करता है।
सेबी को पता चला की कंपनी ने OFCDS के जरिए 2-2.5 करोड़ लोगों से 24,000 करोड़ रुपए जुटाए हैं। सेबी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सहारा ने बॉन्ड जारी करने के लिए उससे अनुमति क्यों नहीं ली? मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और 2012 में कोर्ट ने सहारा को पैसा 15% ब्याज के साथ लौटाने को कहा। निवेशकों की डिटेल्स सेबी को देने को भी कहा।
2013 में सहारा ने 127 ट्रक भेजे। इन ट्रकों में OFCD धारकों के डॉक्यूमेंट थे। एक साथ इतने सारे ट्रक के कारण मुंबई के बाहरी इलाके में जाम लग गया। वहीं सहारा तीन महीने के भीतर पैसा नहीं जमा कर पाया तो कोर्ट ने तीन किश्तों में पेमेंट करने का आदेश दिया। सहारा ने 5120 करोड़ रुपए की पहली किश्त जमा की और बाकी पेमेंट कभी जमा नहीं किया।