सीडीएसएल के शेयरों ने आठ महीने में निवेशकों को दिया दोगुना का फायदा
मुंबई- सीडीएसएल (CDSL) के शेयरों ने पिछले आठ महीने में ही निवेशकों का पैसा दोगुना किया है। साढ़े तीन साल के भीतर ही कंपनी के शेयरों ने 750% से ज्यादा की तेजी दिखाई है। तीन अप्रैल 2020 को सीडीएसएल के शेयर 210 रुपये पर थे, जो बुधवार को 1,820 रुपये पर बंद हुआ। अब इसके शेयरों को एनएसई ने एएसएम की लिस्ट में डाल दिया है।
एनएसई के सर्कुलर के मुताबिक, सीडीएसएल का शेयर 16 नवंबर से सर्विलांस पर रहेगा। हालांकि, अभी इस कंपनी को शॉर्ट टर्म के एएसएम की लिस्ट में डाला गया है। सीडीएसएल फिलहाल स्टेज एक में रहेगा। कोई भी शेयर एएसएम की लिस्ट में आता है तो उसके ऊपर प्राइस में उतार चढ़ाव की निगरानी की जाती है। शॉर्ट टर्म की लिस्ट में अधिकतम शेयर को 30 दिनों तक रखा जाता है।
इंट्रा डे ट्रेडिंग पर मार्जिन बढ़ जाता है। कई विशेष परिस्थिति में तो इंट्रा डे ट्रेडिंग बंद भी की जाती है। गुरुवार को इस खबर का असर सीडीएसएल के शेयरों पर पड़ सकता है। जितने भी डीमैट अकाउंट खुलते हैं, इस कंपनी को सीधे इसका फायदा होता है। इस कंपनी के पास सबसे ज्यादा एक्टिव डीमैट अकाउंट की संख्या है। अक्टूबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, कंपनी के पास 9,85,41,568 एक्टिव डीमैट अकाउंट हैं, यानी यह कंपनी NSDL की तुलना में काफी ग्राहक अपने पास रखती है।
मैनेजमेंट का कहना है कि दूसरी तिमाही में ही कंपनी ने 80 लाख डीमैट अकाउंट जोड़े हैं। उम्मीद है कि कंपनी तीसरी तिमाही तक 10 करोड़ एक्टिव डीमैट अकाउंट का आंकड़ा पार कर लेगी। सीडीएसएल ने 28 अक्टूबर को ही दूसरी तिमाही के रिजल्ट का ऐलान किया। प्रॉफिट में बंपर उछाल आई थी। इस बार कंपनी ने 109 करोड़ रुपये का मुनाफा दिखाया है। इसमें साल दर साल 35 प्रतिशत और तिमाही दर तिमाही 48 प्रतिशत की उछाल रही थी। वहीं, कंसोलिडेटेड इनकम 230 करोड़ आई है, जो साल दर साल 35% ज्यादा और तिमाही दर तिमाही 32% बढ़कर आया है। रिजल्ट आने के बाद से शेयरों में काफी तेजी रही थी।
सीडीएसएल का मुख्य काम डिपॉजिटरी का होता है, जो शेयर शेयरों को अपने पास रखता है। जितने भी आईपीओ आते हैं, उसके लिए भी कंपनी फीस चार्ज करती है। दूसरी तिमाही में 50 ज्यादा आईपीओ आए हैं, जिसकी वजह से कंपनी के रिजल्ट अच्छे आए थे। अब भी 20 से ज्यादा आईपीओ आ चुके हैं। वहीं टाटा टेक्नालजी के आईपीओ की वजह से भी सीडीएसएल को फायदा होगा।
दरअसल एनएसई और बीएसई ने मिलकर एएसएम फ्रेमवर्क बनाया है। किसी भी शेयर में हद से ज्यादा तेजी या फिर गिरावट होने पर अतिरिक्त निगरानी रखने के लिए फ्रेमवर्क में डाला जाता है। एएसएम 2 प्रकार का होता है। शॉर्ट एएसएम और लॉन्ग टर्म एएसएम। जब भी कोई कंपनी का शेयर एएसएम की लॉन्ग टर्म की लिस्ट में जाता है तो उसे कम से कम 90 दिनों तक वहां रखा जाता है, कुछ पैरामीटर होते हैं, उनके हिसाब से शेयर पर निगरानी की जाती है।