एक साल में 22 पर्सेंट महंगा हो गया सोना, जानिए धनतेरस पर इसका भाव

मुंबई- इस धनतेरस पर गोल्ड में निवेश लोगों के लिए शुभ हो सकता है। जानकारों की मानें तो सोने की कीमतों में मजबूती आगे भी बरकरार रह सकती है। पिछले धनतेरस के मुकाबले कीमतों में अभी तक तकरीबन 22 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले साल धनतेरस पर सोने की कीमत 50 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब थी। जबकि घरेलू बाजार में सोना फिलहाल 61 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आस-पास है। वहीं, पिछले एक महीने में गोल्ड की कीमतों में तकरीबन 9 फीसदी की तेजी आई है। 

इजरायल पर हमास के हमले से ठीक पहले मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने का बेंचमार्क फ्यूचर्स  कॉन्ट्रैक्ट 5 अक्टूबर को 56,075 रुपये प्रति 10 ग्राम तक नीचे चला गया था। हालांकि उसके बाद गोल्ड ने शानदार  तेजी दिखाई और 31 अक्टूबर को 61,539 रुपये प्रति 10 ग्राम की ऊंचाई तक पहुंच गया। सोने का बेंचमार्क दिसंबर  कॉन्ट्रैक्ट सोमवार यानी 6 अक्टूबर को 0.28 फीसदी की नरमी के साथ 60,849 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया।  

जानकारों के मुताबिक गोल्ड में मौजूदा मजबूती की वजह इजरायल और हमास के बीच जारी सैन्य संघर्ष के मद्देनजर निवेश के सुरक्षित विकल्प के तौर पर येलो मेटल की मांग में आई तेजी है। इसके अलावा केंद्रीय बैंकों की तरफ से सोने की लगातार हो रही खरीदारी ने भी कीमतों को एक हद तक सपोर्ट किया है। 

यदि आने वाले समय में देशों में टेंशन में कमी भी आती है तो केंद्रीय बैंकों की खरीदारी, मजबूत फिजिकल और निवेश और खरीदारी, अर्थव्यवस्था में धीमी तेजी, उच्च महंगाई दर सोने के लिए सपोर्टिव होंगे। इसके अलावे ज्यादा वैल्यूएशन को लेकर इक्विटी में गिरावट की आशंका, रुपये में नरमी गोल्ड की कीमतों को सपोर्ट कर सकते हैं। 

आने वाले समय में सोना बेहतर प्रदर्शन कर सकता है क्योंकि इस बात की संभावना बढ़ गई है कि यूएस फेडरल रिजर्व अब आगे ब्याज दरों में बढ़ोतरी से बाज आएगा। साथ ही यदि अमेरिका की अर्थव्यवस्था में ज्यादा नरमी आती है तो महंगाई दर के लक्ष्य से ऊपर रहने के बावजूद अमेरिकी केंद्रीय बैंक को समय से पहले ब्याज दरों में कटौती करना पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो सोने की कीमतों में तेजी का एक दौर शुरू हो सकता है। 

अगले छह महीने में ग्लोबल लेवल पर मंदी और गहरा सकती है जिसके कारण अमेरिका और पश्चिमी देशों में ब्याज दरें गिरने लगेंगी। कैलेंडर ईयर 2024 के अंत तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 2,400 डॉलर प्रति औंस जबकि घरेलू बाजार में 70 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक ऊपर जा सकता है। भारत में लोगों की दिलचस्पी अभी भी फिजिकल सोने में है, लेकिन नई पीढ़ी के समझदार निवेशक अब यह भी समझने लगे हैं कि फिजिकल गोल्ड के बजाय पेपर गोल्ड में निवेश करना ज्यादा बेहतर है। इसलिए आज बात पेपर गोल्ड में निवेश के विभिन्न विकल्पों यानी सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड सेविंग फंड (गोल्ड म्युचुअल फंड) की करेंगे, ताकि लोगों को किसी एक विकल्प के चयन में आसानी हो सके। 

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ दोनों में कम से कम 1 ग्राम गोल्ड के बराबर वैल्यू के एक यूनिट में निवेश कर सकते हैं। जबकि गोल्ड म्युचुअल फंड में आप न्यूनतम 1,000 रुपये से एसआईपी (SIP) शुरू कर सकते हैं। गोल्ड म्युचुअल फंड के तहत ईटीएफ में निवेश किया जाता है। ईटीएफ और गोल्ड फंड में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। जबकि सॉवरेन बॉन्ड में एक व्यक्ति एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम सोने की कीमत के बराबर यूनिट में निवेश कर सकता है। 

ध्यान रहे गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड फंड और सॉवरिन बॉन्ड के रिडेम्प्शन के बाद निवेशकों को फिजिकल गोल्ड नहीं बल्कि सोने के मार्केट वैल्यू के बराबर कीमत भारतीय रुपये में ही मिलेगी। ईटीएफ को आप स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर कैश ट्रेडिंग के लिए निर्धारित समय के दौरान कभी भी खरीद  या बेच सकते हैं। वहीं गोल्ड फंड में निवेश करने के लिए आपको फंड हाउस को अप्रोच करना होगा।  

फंड हाउस को अप्रोच आप या तो सीधे या एग्रीगेटर्स, एजेंट वगैरह के जरिए कर सकते हैं। जबकि इसे आप रिडीम अन्य म्युचुअल फंड की तरह उसके नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर कभी भी कर सकते हैं। अब बात सॉवरिन  गोल्ड बॉन्ड की। यह सब्सक्रिप्शन के लिए हमेशा उपलब्ध नहीं होता। इसे सरकार की तरफ से आरबीआई  समय-समय/निश्चित अंतराल पर जारी करती है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को कभी भी बेचा नहीं जा सकता है। बॉन्ड की  मैच्योरिटी पीरियड आठ वर्ष की है। लेकिन पांच साल के बाद बॉन्ड को बेचने का विकल्प यानी एग्जिट ऑप्शन है, जिसका इस्तेमाल ब्याज भुगतान की तारीख पर किया जा सकता है। 

अगर आपने डीमैट फॉर्म में भी सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड लिया है तो आप इसे स्टॉक एक्सचेंज पर कभी भी बेच सकते है। लेकिन यहां आपको या तो पर्याप्त खरीदार नहीं मिलेंगे या फिर आपको डिस्काउंट पर बेचना पड़ेगा। दूसरे मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने पर इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा। 

गोल्ड ईटीएफ के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी है। जबकि सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी नहीं है। हां, अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में लेना होगा। जिसके लिए  डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। गोल्ड फंड के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी नहीं है। मतलब सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ की तरह गोल्ड फंड की ट्रेडिंग नहीं की जा सकती। 

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