इंटरव्यू में सात बार रिजेक्ट हुईं एडलवाइस म्यूचुअल फंड सीईओ राधिका गुप्ता
मुंबई-एडलवाइज एमएफ की सीईओ राधिका गुप्ता की टेढ़ी गर्दन और भारतीय होने पर उनका खूब मजाक बना। स्कूल में अपनी टेढ़ी गर्दन और बोलने के भारतीय लहजे के कारण राधिका अक्सर बच्चों के बीच हंसी का पात्र बनती रहीं। स्कूल में उन्हें खूब बुली किया जाता, लेकिन राधिका ने हार नहीं मानी। कॉलेज गई तब भी मुश्किलों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा।
7 बार इंटरव्यू में रिजेक्ट होने के बाद उनकी हिम्मत टूट गई। राधिका टूट गई, लेकिन हार कर भी उन्होंने जीत हासिल कर ली। 22 साल की उम्र में जिस राधिका के मन में सुसाइड का ख्याल आया था, 33 साल की उम्र में वो करोड़ों की कंपनी की सीईओ बनीं।
राधिका गुप्ता के पिता राजनायिक थे, इसलिए उनकी परवरिश पढ़ाई भारत, पाकिस्तान, अमेरिका और नाइजीरिया में हुई। ह्यूमन ऑफ बॉम्बे के साथ इंटरव्यू के दौरान राधिका ने अपनी दिल की बात कही। पिता राजनायिक थे इसलिए उनकी पढ़ाई भारत, पाकिस्तान, अमेरिका और नाइजीरिया में हुई। नाइजीरिया में स्कूल में उनके क्लासमेट उनकी टेढ़ी गर्दन और बोलने के भारतीय लहजे के कारण उनका मजाक उड़ाते थे।
राधिका को कार्टून कैरेक्टर अप्पू के नाम से चिढ़ाते थे। राधिका की तुलना उनकी मां से, जो उसी स्कूल में पढ़ाती थी, उनसे की जाती थी। उनकी मां बेहद तेजतर्रार और खूबसूरत थी, इसलिए बच्चें मां से राधिका की तुलना करते थे। राधिका गुप्ता जब अपनी टेढ़ी गर्दन के साथ स्कूल जाती थीं, हंसी की पात्र बनती थी, लेकिन वो फिर भी सब सहती रही।
पढ़ाई के बाद जब वो नौकरी के लिए इंटरव्यू देने पहुंची तो बार-बार रिजेक्ट हो रही थी। लगातार 7 बार उन्हें जॉब इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिया गया। यहां से राधिका की हिम्मत टूटने लगी। बार-बार रिजेक्ट होने पर राधिका खुल को फेल मानने लगी। उनके मन में आत्महत्या करने तक का विचार आया। वो खिड़की से छलांग लगाने ही वाली थी कि उनके दोस्तों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें बचा लिया। 22 साल की राधिका डिप्रेशर की शिकार हो गई। उन्हें मनोचिकित्सक के पास अपने इसाज के लिए भर्ती रहना पड़ा। उन्हें वहां से छुट्टी तब मिली, जब उन्हें मैकेंजी में नौकरी मिल गई।
पहली नौकरी मिलने के बाद उनका आत्मविश्वास लौटने लगा। 22 साल में पहली नौकरी करने वाली राधिका भारत लौट आई। 25 साल की उम्र में उन्होंने अपने पति और दोस्त के साथ मिलकर अपनी एसेट मैनेजमेंट फर्म शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने अपनी कंपनी शुरू की, जिसके बाद में एडलवाइस एमएफ ने उनकी कंपनी का अधिग्रहण कर लिया। एडलवाइज ने सीईओ के तौर पर राधिका को चुना। मात्र 33 साल की उम्र में राधिका यंगेस्ट सीईओ बन गई।
राधिका ने अपनी कमियों को अपनी काबिलियत पर हावी नहीं होने दिया। वो कहती है कि मेरी शारीरिक खामियां मुझे कम खूबसूरत बनाती हैं, लेकिन मेरी काबिलियत को कम नहीं कर पाती। राधिका कहती है कि जो लोग मेरी बनावट पर कमेंट करते हैं तो मैं उससे कहती हूं, हां, मेरी आंखों में भेंगापन है और मेरी गर्दन टेढ़ी है, लेकिन ये मेरी कमियां नही बल्कि मेरी खासियत है। अब राधिका स्टार्टअप रियलिटी शो शार्क टैंक इंडिया के सीजन 3 में बतौर जज नजर आने वाली हैं