बाजार में लिस्टेड नहीं कंपनियों को भी शेयरों को डीमैट में बदलना जरूरी 

मुंबई- सरकार ने सभी निजी कंपनियों के शेयरों को 30 सितंबर तक अनिवार्य तौर पर इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदलने का निर्देश दिया है। इस पहल से वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ने और निगरानी बेहतर होने की उम्मीद है। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 27 अक्तूबर के संशोधन में इसे जारी किया है। छोटी कंपनियों को छोड़कर सभी निजी कंपनियों को निर्धारित अवधि के भीतर केवल डीमैट रूप में शेयर जारी करने होंगे। 

सर्कुलर के मुताबिक, अगर कोई निजी कंपनी वित्त वर्ष के अंतिम दिन के अगले 18 महीनों के भीतर इस नियम के प्रावधानों का अनुपालन करना होगा। जिन कंपनियों की इक्विटी पूंजी 4 करोड़ रुपये से कम और कुल कारोबार 40 करोड़ रुपये से कम है, उन्हें छोटी निजी कंपनियों की श्रेणी में रखा जाता है। अगर कोई कंपनी न तो होल्डिंग कंपनी है और न ही सहायक कंपनी तो उसे इस नियम से छूट मिलेगी। 

यह पहल वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम है। इससे भारत में कारोबारी सुगमता बढ़ाने के अलावा भौतिक शेयरों में लेनदेन के दौरान बेईमानी पर लगाम कसने में भी मदद मिलेगी। फिलहाल कंपनी मामलों के मंत्रालय और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा विनियमित सूचीबद्ध कंपनियों को ही अपने शेयर डीमैट करने की जरूरत होती है। 

निवेशक के लिए कागजी शेयर रखने में बंदिश नहीं है मगर शेयर किसी और को देते समय उन्हें इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदलना ही होगा। इसी प्रकार गैर-सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनियों के लिए भी पुनर्खरीद करने, बोनस अथवा राइट्स शेयर जारी करने के लिए अपने शेयरों को डीमैट कराना होगा। जनवरी 2023 तक कंपनी मामलों के मंत्रालय के पास पंजीकृत करीब 14 लाख कंपनियां थीं। इनके अलावा छोटी कंपनियों की श्रेणी में करीब 50,000 कंपनियां मौजूद थीं। 

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