मनी लांड्रिंग के लिए विख्यात केमन आइसलैंड टास्क फोर्स के ग्रे लिस्ट से बाहर
मुंबई-अंतर सरकारी निकाय फाइनैंशियल टॉस्क फोर्स ने ऑफशोर टैक्स हैवेन ‘केमैन आइलैंड्स को ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर कर दिया है। मनी लॉड्रिंग विरोधी मानक यानी स्टैंडर्ड निर्धारित करने वाले FATF ने केमैन, पनामा, जार्डन और अल्बीनिया को ‘ग्रे सूची’ से हटा दिया है। ये देश जब तक अपने फ्रेमवर्क में पहचानी गई खामियों को दूर नहीं कर लेते हैं तब तक इन देशों को अधिक निगरानी में रखा जाता है। FATF ने 27 अक्टूबर को प्रकाशित रिव्यू में बुल्गेरिया को ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल किया है।
देशों को मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने, आतंकवाद को धन मुहैया कराने से रोकने और फाइनैंसिंग सिस्टम को मजबूत करने के लिए ऐसे कदम उठाए जाते हैं। केमैन को 2021 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था। हिंडनबर्ग रिसर्च के अडाणी समूह पर लगाए गए आरोपों के मामले में कैरेबियन द्वीपसमूह का नाम भी खबरों में आया था। इस मामले की जांच के दौरान कुछ विदेशी संस्थागत निवेशक वहां के निवासी थे।
FATF की अक्टूबर के रिव्यू के अनुसार, ‘केमैन आइलैंड्स ने रणनीतिक खामियों को दूर करने के लिए कार्ययोजना की प्रतिबद्धता के अनुरूप एंटी मनी लांड्रिंग को मजबूत और सुचारु बनाया है। FATF ने इन खामियों को फरवरी, 2021 में चिह्नित किया था।’
नैशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी (NSDL) की वेबसाइट के अनुसार, भारत में दर्ज 385 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक केमैन आइलैंड्स से हैं और एक पनामा से है। ये दोनों ही भारत में निवेश करने वाले टॉप FPI देशों में नहीं हैं। हालांकि भारत में FPI और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रवाह के लिए केमैन को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि ‘ग्रे लिस्ट’ से हटाए जाने के कारण इस ब्रिटिश प्रवासी क्षेत्र से अधिक धन आ सकता है। इससे बड़े निवेशकों की नकारात्मक अवधारणा को समाप्त करने में मदद मिलेगी। इन निवेशकों पर भारत में निवेश करने के लिए बीते दो वर्षों से कुछ प्रतिबंध लगे हुए थे। अभी बुल्गारिया ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ है लेकिन इस देश का कोई भी FPI भारत में रजिस्टर नहीं है।