एयरलाइंस कंपनियों की मनमानी, 50 फीसदी लोगों को नहीं मिला रिफंड
मुंबई- एयरलाइंस कंपनियों की मनमानी से ग्राहक परेशान हैं। पिछले साल इन कंपनियों को 10,000 शिकायतें मिलीं थीं। इसमें से 50 फीसदी लोगों को टिकट रद्द होने के बाद भी रिफंड नहीं मिला, जबकि 47 प्रतिशत लोगों को सीटों के लिए पैसा देना पड़ा था।
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) के आंकड़ों के मुताबिक, एयरलाइंस हर सीटों के लिए पैसे मांगती हैं। 15 प्रतिशत ग्राहक एयरलाइन कंपनियों की सेवाओं से खुश नहीं हैं। पांच प्रतिशत यात्रियों को वैध टिकट होने के बावजूद बोर्डिंग नहीं करने दिया गया।
इस मनमानी के बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 8 नवंबर को टिकट बुक करने वाली वेबसाइटों और एयरलाइंस कंपनियों के अधिकारियों की बैठक बुलाई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा है कि एयरलाइन कंपनियां ग्राहकों को मुफ्त में अनिवार्य वेब चेक-इन की सुविधा देने का दावा करती हैं, लेकिन वो हर सीट के लिए पैसा ले रही हैं। मुफ्त सीट मिलने में लगातार दिक्कत हो रही है।
मंत्रालय के मुताबिक, एयरलाइन कंपनियां कई बार कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों को भी बोर्डिंग से रोक देती हैं। यहां तक कि रिफंड में भी आनाकानी करती हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने अनुचित व्यापारिक गतिविधि को गंभीरता से लिया है। ज्यादातर मामलों में हवाई कंपनियां यात्रियों के जीवन को मुश्किल बना रही हैं।
एयरलाइंस कंपनियां पसंदीदा सीट के लिए 150 रुपये से 1,000 रुपये तक लेती हैं। जो यात्री टिकट लेते वक्त अतिरिक्त भुगतान करके सीट नहीं चुनते हैं, उन्हें एयरपोर्ट चेक-इन के दौरान सीट मिलती है। सचिव ने कहा, एयरलाइन वेबसाइटों या यात्रा पोर्टलों के माध्यम से टिकट बुक करते समय विभाग ने देखा है कि कई ग्राहकों को लगता है कि वे ठगे गए हैं।
यात्रियों की शिकायतों में वृद्धि के बावजूद सरकार ने संकेत दिया है कि उसकी मंशा एयरलाइनों के प्राइस मैकेनिजम में हस्तक्षेप करने का नहीं है। सरकार की दलील है कि एयरलाइन मार्केट बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धी है और यात्रियों के पास विकल्प हैं क्योंकि उन्हें पहले ही बताया जा रहा है कि किस सीट के लिए कितने पैसे लगेंगे। हालांकि, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने यात्रियों की शिकायतों को दूर करने के लिए घरेलू एयरलाइनों और ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टलों के सीईओज की बैठक बुलाई है।