रिश्ते बिगड़ने पर चीन ने टैक्स मामले को लेकर फाक्सकान की शुरू की जांच 

मुंबई-चीन का ताइवान और अमेरिका से बिगड़ते रिश्तों के बीच दुनियाभर की ज्यादातर कंपनियां भारत की तरफ रुख कर रही हैं। इसमें ऐपल के आईफोन बनाने वाली कंपनी फॉक्सकान का नाम भी शामिल है। ताइवान की इस कंपनी के भारत में एंट्री करने के बाद आईफोन मैन्युफैक्चरिंग ने रफ्तार पकड़ ली है और ऐपल को पछाड़कर भारत की सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्यातक कंपनी बन गई है। मगर यह सब चीन को रास नहीं आता दिख रहा है। चीन की टैक्स अथॉरिटी ने फाक्सकान की जांच कर रही है। 

चीनी सरकारी ग्लोबल टाइम्स अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, फॉक्सकॉन, जो आधिकारिक तौर पर हॉन हाई प्रिसिजन इंडस्ट्री कंपनी लिमिटेड के रूप में रजिस्टर्ड है। कंपनी चीन में भारी मात्रा में ऐपल के प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग करती है। चीन के गुआंग्डोंग और जियांग्सू प्रांतों में टैक्स अधिकारियों द्वारा कंपनी के कार्यालयों की तलाशी ली गई। 

प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने हेनान और हुबेई प्रांतों में फॉक्सकॉन कार्यालयों का भी निरीक्षण किया, जहां कंपनी के प्रमुख फैक्टरीज हैं। गौरतलब है कि फॉक्सकॉन ने पूरे चीन में लाखों कर्मचारियों को रोजगार दिया है, और जिस तरह से कंपनी अपनी फैक्टरीज को चीन के बाहर ऑपरेट करने का ऑप्शन तलाश रही है, यह देखना होगा कि चीन इन कंपनियों को लेकर क्या कार्यवाही करता है। 

बता दें कि फॉक्सकॉन अपनी ज्यादातर मैन्युफैक्चरिंग चीन में करती है। कंपनी के फाउंडर टेरी गौ ने अगस्त में घोषणा की थी कि वह ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के रूप में भाग लेंगे, जो अगले साल की शुरुआत में होगा। इसके बाद उन्होंने फॉक्सकॉन के बोर्ड में अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया। टेरी को एक चीन-हितैषी उम्मीदवार के रूप में देखा जाता है, जिनकी राजनीति ज्यादातर द्वीप की वर्तमान विपक्षी पार्टी कुओमिंगटांग के साथ जुड़ी हुई है। 

हाल के वर्षों में चीन और ताइवान के बीच तनाव काफी बढ़ा हुआ है। चीन ताइवान के लोकतांत्रिक स्वशासित द्वीप को अपने क्षेत्र का हिस्सा होने का दावा करता है। 1949 में गृहयुद्ध के बाद दोनों पक्ष अलग हो गए और उनके बीच कोई आधिकारिक संबंध नहीं है लेकिन वे अरबों डॉलर के व्यापार और निवेश से जुड़े हुए हैं। 

आईफोन बनाने वाली यह कंपनी भारत में इन्वेस्टमेंट का बड़ा प्लान बना रही है। ऑक्सकॉन भारत में अपने निवेश को दोगुना करने और रोजगार भी बढ़ाकर दोगुना करने का प्लान बना रही है और इसकी वजह चीन और अमेरिका के बढ़ती तनातनी हो सकती है। 

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