आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के एमडी निमेश शाह बता रहे हैं 30 वर्षों के अनुभव के निवेश की कहानी
मुंबई-निवेश करने की प्रक्रिया जटिल हो सकती है जो कभी कभी अनिश्चितताओं और शब्दजाल से भरी सकती है और जो एक आम इंसान को डरा सकता है। इस वित्तीय परिस्थिति से निपटने के लिए एक तरह की समझ और रणनीति की आवश्यकता पड़ती है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक और सीईओ निमेश शाह और मनी पाठशाला के संस्थापक विवेक ला ने एनएसई के पाडकास्ट में इस इंडस्ट्री पर चर्चा की। निमेश शाह अपने 30 वर्षों के अनुभव से भारत में निवेश, जोखिम और विकसित वित्तीय परिदृश्य पर अपनी जानकारी साझा की।
चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) का पावर : अल्बर्ट आइंस्टीन की कहावत काफी प्रसिद्ध है जिसमें उन्होंने कहा था, ‘चक्रवृद्धि ब्याज दुनिया का आठवां आश्चर्य है। जो इसे समझते हैं वे इसे कमाते हैं, और जो इसे नहीं समझते हैं वे इसका भुगतान करते हैं।’ यह निवेशकों के लिए भी मूलभूत अवधारणा (fundamental concept) है। चाहे आप पैसे उधार ले रहे हों या निवेश कर रहे हों, चक्रवृद्धि ब्याज आपके वित्तीय भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर आप यह समझ गए कि चक्रवृद्धि ब्याज के माध्यम से आपका पैसा समय के साथ कैसे बढ़ सकता है, तो आपकी वित्तीय सफलता तय है। अगर आप यह ठीक से समझ गए तो बाकी बड़े बड़े शब्दों का कोई खास महत्व नहीं रह जाता है।
भारत की बेजोड़ स्थिति: भारतीय निवेशक स्वयं को एक बेजोड़ या अद्वितीय स्थिति में पाते हैं। भारत प्रति वर्ष 6-7% की विकास दर के लिए तैयार बैठा है, जबकि मुद्रास्फीति 4-5% के आसपास है। जब इन आंकड़ों को जोड़ दिया जाता है, तो यह ग्रोथ रेट 10-12% के आसपास होता है। जैसे-जैसे भारत इस दर से बढ़ता रहेगा, भारत के भीतर बड़ी कंपनियां भी इसी तरह की वृद्धि का अनुभव करेंगी या उससे भी आगे बढ़ेंगी। यह भारतीय निवेशकों को कई अन्य देशों की तुलना में आगे रखता है।
मुद्रास्फीति से मुकाबला: मुद्रास्फीति निवेशकों के लिए एक आम चिंता का विषय रहता है, लेकिन यह ऐसी समस्या नहीं है जिसे हल नहीं किया जा सकता है। जब मुद्रास्फीति अधिक होती है, तो व्यापारी अपनी लाभप्रदता बनाए रखने के लिए अपनी कीमतें बढ़ाते हैं। इसलिए, मुद्रास्फीति का हाल इसी में है कि इन लाभदायक व्यवसायों में निवेश किया जाए। निवेश करने में फेल होने का मतलब है कि मुद्रास्फीति समय के साथ आपकी क्रय शक्ति (purchasing power) कम हो जाएगी जिससे अंततः आपके जीवन स्तर में गिरावट आएगी।
उतार चढ़ाव एक अवसर : निवेश का एक प्रमुख पहलू बाजार के उतार चढ़ाव से निपटना है। यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह उतार चढ़ाव जोखिम का दूसरा नाम नहीं है, जैसा कि अक्सर पश्चिमी देशों और शिक्षा जगत में माना जाता है। उतार चढ़ाव जोखिम के बजाय एक अवसर है। हालांकि शॉर्ट टर्म बाजार में उतार-चढ़ाव परेशान करने वाला हो सकता है, लेकिन यदि आपके पास दीर्घकाल की अवधि है (उदाहरण के लिए, पांच साल से अधिक), तो आपको अत्यधिक चिंतित नहीं होना चाहिए। आगे चलकर, देश की वृद्धि और कंपनियों की कमाई में वृद्धि होगी और स्टॉक की कीमतें आम तौर पर इसका अनुसरण करती हैं। जो लोग उतार चढ़ाव के झटके सहन कर सकते हैं, उनके लिए दस साल या उससे अधिक समय के नजरिए से निवेश करने से संतोषजनक परिणाम मिल सकते हैं। पिछले एक दशक में (2013 से) भारतीय शेयर बाजार ने औसतन 11-13% का रिटर्न दिया है, जो देश की 10% की विकास दर से थोड़ा अधिक है। शेयर बाजार में थोड़े समय के लिए उतार-चढ़ाव आम बात है, लेकिन इससे लॉंग टर्म वाले निवेशकों को हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। जमीन से जुड़ी अपेक्षाएँ रखना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अत्यधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निराशा का कारण बन सकते हैं। सफल निवेशक वे हैं जो अपने निवेश को लंबी अवधि तक बनाए रखते हैं और बाजार में गिरावट आने पर घबराते नहीं हैं।
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड: निवेश करने का यह प्रोडक्ट उन व्यक्तियों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो इक्विटी के समान या उसके करीब लेकिन कम अस्थिरता के साथ रिटर्न चाहते हैं। फंड की रणनीति में बाजार में गिरावट के दौरान इक्विटी एक्सपोजर को बढ़ाना और बाजार महंगा होने पर निश्चित आय की ओर बढ़ना शामिल है। इसलिए, इसका इक्विटी एक्सपोजर कुल कॉर्पस के 30-80% के बीच मैनेज किया जाता है। यह स्ट्रेटेजी आटोमेटिक है और निवेशकों को पुनर्संतुलन (rebalancing) के कारण कैपिटल गेन टैक्स से बचने में मदद करती है। शाह कहते हैं कि इस फंड ने सूचकांक की आधी अस्थिरता को बनाए रखते हुए लगातार निफ्टी 50 के बराबर रिटर्न प्रदान किया है।
एसेट एलोकेशन का महत्व: एक अन्य फंड जिस पर निवेशक विचार कर सकते हैं वह मल्टी-एसेट फंड हैं, जो इक्विटी, डेट और सोने में निवेश करते हैं। ये फंड पोर्टफोलियो को विविधीकरण और संतुलन प्रदान करते हैं, संभावित रूप से जोखिम को कम करते हैं।
भारतीय निवेशकों का विकास: भारतीय निवेशक, विशेष रूप से युवा पीढ़ी, अपने फाइनैन्शल मैनेजमेंट में अधिक समझदार और सक्रिय हो रही है। यह देखा गया है कि निवेशकों की औसत आयु में बदलाव आया है और कई लोग अब अपने करियर की शुरुआत में ही निवेश के सफर पर चल पड़ते रहे हैं। उनका मानना है कि यह पीढ़ी बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति अधिक लचीली और अनुकूलनीय है, जिसने बहुत पहले ही नुकसान का अनुभव कर लिया है। इसलिए ये नई पीढ़ी सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) शुरू करके और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके निवेश करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
महानगरों के बाहर भी ग्रोथ: अंत में, भारत के 30 प्रमुख शहरों से परे फाइनैन्शल इंडस्ट्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्तमान में, 25% बिजनेस टियर 2 और टियर 3 शहरों से आता है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में निवेश में दिलचस्पी बढ़ रही है। अनुमान यह है कि यह अगले दशक में बैंकिंग क्षेत्र का 33% प्रतिनिधित्व कर सकता है। मेश शाह का ज्ञान चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति, बाजार की अस्थिरता के भीतर अवसरों और लॉंग टर्म इन्वेस्टमेंट के महत्व पर जोर देता है। जैसे-जैसे भारत में वित्तीय परिदृश्य (financial landscape) विकसित हो रहा है, शाह का मार्गदर्शन अनुभवी लोगों के साथ साथ और नए निवेशकों के लिए भी अमूल्य है।