10,000 से 50,000 रुपये के कर्ज में 48 फीसदी तक की वृद्धि, डूबने का खतरा 

मुंबई-इस समय छोटे कर्ज में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। इसे लेकर आरबीआई ने बैंकों को चेताया है कि इस तरह के छोटे लोन डूब सकते हैं। ऐसे में कड़ाई बरतने की जरूरत है। आंकड़ों के मुताबिक, 10,000 से 50,000 रुपये तक के पर्सनल लोन में 48 फीसदी तक की भारी-भरकम बढ़त दिखी है। जबकि बैंकों की कुल उधारी की वृद्धि दर 15 फीसदी के भीतर है। 

कम आय वाले ग्राहक छोटे कर्ज ज्यादा ले रहे हैं। इन कर्जों की अवधि तीन से चार महीने की होती है। ऐसे में आरबीआई ने उधारी में वृद्धि के बाद कर्जदाताओं से छोटे पर्सनल लोन पर सख्ती बरतने की सलाह दी है, जिससे जोखिम को रोकने के लिए बैंक और वित्तीय संस्थान कड़े कदम उठा सकते हैं। बैंकिंग क्षेत्र में बुरे फंसे कर्ज यानी एनपीए एक दशक के निचले स्तर पर हैं। आरबीआई का अनुमान मार्च 2024 तक एनपीए 3.6% रहने का अनुमान है। 

जून 2023 तक 50,000 रुपये से कम के कर्ज का एनपीए 8.1 फीसदी था। यह मार्च 2023 तक सभी खुदरा ऋणों के 1.4 फीसदी एनपीए का करीब 6 गुना है। वित्त वर्ष 2022-23 में 10,000 रुपये से कम के कर्ज में 37 फीसदी की बढ़त आई है। जबकि 10,000 से 50,000 रुपये वाले कर्ज में 48 फीसदी तक की वृद्धि दिखी है। वॉल्यूम के आधार पर पिछले 12 महीनों में 10,000 रुपये से कम के 38 फीसदी कर्ज देश के शीर्ष 100 शहरों के बाहर थे। 

बजाज फाइनेंस के सीईओ राजीव जैन ने बुधवार को वित्तीय परिणाम के बाद कहा कि छोटे कर्ज जो कम अवधि के हैं, उनमें काफी तेज वृद्धि दिख रही है। डिजिटल ऋणदाताओं सहित गैर-बैंक वित्तीय कंपनियां ज्यादा कर्ज दे रही हैं। हालांकि, इसका असर बैंकों पर भी हो सकता है, क्योंकि एनबीएफसी को बैंक ही कर्ज देते हैं। 

कुछ ऐसे मामले भी हैं, जहां तेजी से वसूली के प्रयास हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर मुंबई के इस्माइल सैय्यद ने मोबाइल फोन खरीदने के लिए 5,000 रुपये का पर्सनल लोन लिया था। हालांकि, वह कर्ज वापस नहीं कर पाया। इसके बाद तीन लोन एजेंट उसके घर पहुंच गए। सैय्यद का कहना है कि इतने छोटे कर्ज के लिए तीन-तीन एजेंटों का घर पर धमकना आश्चर्यजनक है। मुंबई के पराग कदम अपने खर्चों को पूरा करने के लिए बार-बार 10,000 रुपये से कम का कर्ज लेते हैं। कभी-कभी तो वे इस कर्ज को पूरा करने के लिए नया कर्ज लेते हैं। 

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