त्योहारी सीजन में सताएगा गेहूं, आठ महीने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची कीमत
मुंबई- त्योहारी सीजन की शुरुआत के साथ ही गेहूं की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। मंगलवार को गेहूं की कीमतों ने आठ महीने का रिकॉर्ड तोड़ दिया। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के बड़े त्योहारों की वजह से मांग में काफी तेजी देखने को मिल रही है, जबकि सप्लाई सीमित ही है। इसके अलावा अगर घरेलू आटा मिलें विदेशों से भी गेहूं आयात करना चाहें तो उस पर आयात शुल्क (इम्पोर्ट ड्यूटी) लगता है जिसकी वजह से खरीद करना काफी मुश्किल है।
गौरतलब है कि गेहूं की बढ़ती कीमतों की वजह से खाद्य महंगाई दर भी बढ़ती है। चूंकि एक महीने के भीतर ही 5 अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं और इसी बीच गेहूं की कीमतें बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में विशेषज्ञ यह भी कयास लगा रहे हैं सरकार सप्लाई बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए इन्वेन्ट्री से ज्यादा स्टॉक जारी कर सकती है और अनाज पर आयात शुल्क खत्म कर सकती है।
नई दिल्ली में गेहूं की कीमतें मंगलवार को 1.6% बढ़कर 27,390 रुपये प्रति मीट्रिक टन हो गईं, जो 10 फरवरी के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले छह महीनों में कीमतें लगभग 22% बढ़ी हैं। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस ने रॉयटर्स को बताया, ‘त्योहारी सीजन की मांग के कारण गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं। सरकार को कीमतें कम करने के लिए ड्यूटी फ्री आयात की अनुमति देने की जरूरत है।’
खाद्य मंत्रालय के सबसे सीनियर अधिकारी संजीव चोपड़ा ने पिछले महीने कहा था कि भारत की गेहूं पर 40% इम्पोर्ट टैक्स को खत्म करने की तत्काल कोई योजना नहीं है। 1 अक्टूबर तक, सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक 2.4 करोड़ टन था, जो पांच साल के औसत 3.7 करोड़ टन के मुकाबले काफी कम है।
फिलिप कैपिटल इंडिया में कमोडिटी रिसर्च के हेड अश्विनी बंसोड़ ने कहा, आयात के अभाव और सरकार द्वारा लक्ष्य से कम खरीद के कारण घरेलू गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं। भारत 2023 में 3.41 करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले किसानों से 2.62 करोड़ टन गेहूं खरीदने में कामयाब रहा।
सरकार का अनुमान है कि 2023 में गेहूं का प्रोडक्शन बढ़कर रिकॉर्ड 112.74 मिलियन मीट्रिक टन हो जाएगा, लेकिन एक प्रमुख व्यापार निकाय ने कहा कि फसल कृषि मंत्रालय के अनुमान से कम से कम 10% कम थी। आने वाले महीनों में आपूर्ति की स्थिति और सख्त होने की संभावना है, और जब तक सरकार आयात के लिए नरमी नहीं बरतती, तब तक कीमतों के 30,000 रुपये टन से भी ज्यादा बढ़ने का रीयल रिस्क है।