करते रहें खरीदारी, सस्ते भाव में हैं शेयर 

मुंबई- पहले से ही चुनौतियों से गुजर रही वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को अब फलस्तीन और इस्राइल के बीच एक नए युद्ध से और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यह युद्ध कितना लंबा चलेगा, यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि, कोरोना, रूस-यूक्रेन सहित महंगाई और तमाम समस्याओं के बीच हमारे बाजार ने अच्छा प्रदर्शन किया है। 

भारतीय शेयर बाजार में नई ऊंचाई बनाने के बाद एक बार फिर से थोड़ी गिरावट दिखी है। ऐसा इसलिए क्योंकि वैश्विक स्तर पर महंगाई, ऊंची ब्याज दरों और हालिया फलस्तीन और इस्राइल संकट ने विदेशी निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये की निकासी करने के बाद इन निवेशकों ने अक्तूबर में अभी तक 9,800 करोड़ रुपये की निकासी की है। अमेरिकी बॉन्ड पर इस समय 5 फीसदी से ज्यादा ब्याज मिल रहा है। ऐसे में ये निवेशक एक सुरक्षित साधनों में निवेश कर रहे हैं। 

हालांकि, सितंबर तिमाही के कंपनियों के परिणाम और खुदरा महंगाई में आई भारी गिरावट ने भारतीय बाजार में सकारात्मक उम्मीदें जगाए रखी है। आईटी कंपनियों ने आगे भले ही राजस्व में मंदी का संकेत दिया है, पर उनके शेयरों पर इसका कोई खास असर नहीं दिखा है। इस माहौल में विश्लेषकों का मानना है कि निवेशकों को अच्छे शेयरों में खरीदारी करते रहना चाहिए। इस समय सस्ते भाव में शेयर उपलब्ध हैं। 

भारतीय शेयर बाजार हर चुनौतियों से पार पाने में सफल रहा है। हर बार यह चुनौतियों को पीछे छोड़कर जबरदस्त तेजी पर सवार रहा है। 2008 की आर्थिक मंदी हो, 2020 में कोरोना हो या फिर रूस-यूक्रेन युद्ध हों, हर माहौल में बाजार पर असर दिखा हो, लेकिन उसके बाद इसने बहुत ही तेजी से वापसी की है। इस दौरान जिन भी निवेशकों ने बाजार में पैसे लगाए हैं, उनको बहुत अच्छा फायदा हुआ है। हालांंकि, बाजार के अलावा ऐसे माहौल में अगर आपने इक्विटी म्यूचुअल फंड का भी रास्ता अपनाया है तो आपको बेहतर रिटर्न मिला है। 

विश्लेषकों का मानना है कि आगे कंपनियों के बेहतर नतीजे और अन्य आर्थिक मोर्चो के सकारात्मक होने से बाजार सीमित दायरे में रह सकता है। पिछले सप्ताह में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे इस्राइल-हमास संघर्ष प्रमुख कारणों में से एक है, क्योंकि युद्ध से मध्य पूर्व में तेल उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, 19 अक्तूबर को अमेरिकी केंद्रीय बैंक के चेयरमैन जेरोम पॉवेल का भाषण महत्वपूर्ण होगा। वर्तमान माहौल में सुरक्षित मानी जाने वाली संपत्तियों पर विदेशी निवेशकों का फोकस हो सकता है। 

विदेशी निवेशक भले ही इक्विटी बाजार से पैसे निकाल रहे हैं, पर वे भारत के डेट बाजार में निवेश कर रहे हैं। अक्तूबर में अब तक डेट बाजार में 4,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। विदेशी निवेशकों ने इस साल अब तक इक्विटी में 1.1 लाख करोड़ रुपये और डेट में 33,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इन्होंने वित्तीय सेवाओं, ऊर्जा और आईटी के शेयरों को बेचा है जबकि कैपिटल गुड्स और ऑटोमोबाइल के शेयरों में लगातार खरीदारी की है। 

मास्टर कैपिटल सर्विसेस के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट अरविंदर सिंह नन्दा कहते हैं कि निफ्टी अगर 19900 से ऊपर बंद होने में कामयाब होता है तो हम एक नई ऊंचाई की उम्मीद कर सकते हैं। 19300 से नीचे जाने पर निफ्टी 19000-18800 की ओर जा सकता है। इस सप्ताह बाजार सीमित दायरे में कारोबार करेंगे। 

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