संगठनों का आरोप, बीमा कंपनियां गलत ढंग से खारिज कर रहीं मरीजों का दावा 

मुंबई- अस्पतालों के संगठन एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (AHPI) ने हेल्थ इंश्योरेंस उपलब्ध कराने वाली बीमा कंपनियों पर बड़ा आरोप लगाया है। इनका कहना है कि बीमा कंपनियां मरीजों की तरफ से किए गए दावों को ‘गलत ढंग से’ खारिज करती हैं। साथ ही बीमा क्षेत्र के नियामक इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईआरडीएआई) के भी निर्देशों की धज्जियां उड़ाती हैं। 

अस्पतालों एवं अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के समूह एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (एएचपीआई) ने बयान में कहा है कि बीमा कंपनियां भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) की तरफ से जारी दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं। उसने निजी बीमा कंपनियों पर ‘गुटबंदी’ करने का आरोप भी लगाया है। एएचपीआई ने कहा कि ये बीमा कंपनियां अस्पतालों को प्रदान की जाने वाली नकदी-रहित (कैशलेस) सुविधाओं को सामूहिक रूप से बंद कर रही हैं, जिससे मरीजों को उपचार और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को अपनी पसंद के हिसाब से चुनने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। एएचपीआई ने कहा कि इस स्थिति में बीमा कराने वाले मरीज असली पीड़ित बन रहे हैं। 

संगठन के मुताबिक, बीमा दावों को खारिज कर दिए जाने पर लोगों को चिकित्सा खर्चों के लिए फौरन धन की जरूरत पड़ती है। वहीं निजी अस्पताल भी इन बीमा कंपनियों के आचरण से बढ़ती लागत और बढ़ते घाटे से जूझ रहे हैं। एएचपीआई के महानिदेशक डॉ. गिरधर ज्ञानी ने कहा, ‘‘हालात सुधारने की हमारी कोशिशों को प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है। आईआरडीएआई के पास कई शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। बीमा कंपनियों द्वारा उत्पीड़न की शिकायतें आने के बाद हम अब कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं। इन संबंधित प्रथाओं पर ध्यान आकर्षित करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से संपर्क कर रहे हैं।’’

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