नीता अंबानी ने बताया राज, कहा 40 साल बाद भारत आ सकता है ओलंपिक  

मुंबई- नीता अंबानी जब बीजिंग में ओलंपिक सत्र की मेजबानी के लिए बिडिंग कर रही थी तब किसी ने भी नही सोचा था कि भारत के पक्ष में इतनी जबर्दस्त वोटिंग होगी। कुल 76 वोटों में से 75 भारत को मिले। मुंबई अब 15 से 17 अक्तूबर, 2023 तक अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के 141वें सत्र की मेजबानी करेगा। इसे ओलंपिक खेलों को भारत लाने के प्रयासों से जोड़ कर देखा जा रहा है। 

सवाल यह है कि आईओसी सत्र तो भारत आ गया पर क्या ओलंपिक खेल भी भारत आएंगे। आईओसी सत्र की मेजबानी मिलने पर नीता अंबानी ने कहा था “खेल हमेशा दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए आशा और प्रेरणा का प्रतीक रहा है। हम आज दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक हैं और मैं भारत के युवाओं को ओलंपिक के जादू रूबरू कराने को लेकर बेहद उत्साहित हूं। आने वाले वर्षों में भारत में ओलंपिक खेलों की मेजबानी करना हमारा सपना है!” 

नीता अंबानी ओलंपिक को भारत लाने का सपना क्यों देख रही हैं और आईओसी सत्र आखिर इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं। दरअसल आईओसी सत्र, ओलंपिक खेलों पर निर्णय लेने वाली सर्वोच्च बॉडी है। जिसमें ओलंपिक चार्टर को अपनाना या संशोधित करना, आईओसी सदस्यों और पदाधिकारियों का चुनाव करना और ओलंपिक के मेजबान शहर का चुनाव शामिल है। जैसे क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल किए जाने की चर्चा जोरों पर है और अगर इसे 2028 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों में शामिल करने का फैसला होता है, तो इसकी घोषणा मुंबई के आईओसी सत्र में ही होगी। 

आईओसी सत्र के दौरान भारत आने वाली दुनिया की जानी मानी खेल हस्तियों की एक लंबी लिस्ट है। 40 साल पहले 1983 में नई दिल्ली ने आईओसी सत्र के 86वें संस्करण की मेजबानी की थी। तब से भारत ओलंपिक तो दूर आईओसी सत्र की मेजबानी के लिए भी तरसता रहा। ओलंपिक भारत आए, इसकी उम्मीद में खिलाड़ियों की कई पुश्तें बीत गईं, लेकिन ओलंपिक भारत में आयोजित नहीं हो सका। वजह थी कि ओलंपिक कमेटी में भारत के लिए आवाज उठाने वाला कोई निजी सदस्य नहीं था। 6 वर्ष पहले नीता अंबानी आईओसी की पहली भारतीय निजी महिला सदस्य बनीं। उनकी मेहनत रंग लाई और 141वें आईओसी सत्र की मेजबानी भारत को सौंप दी गई।   

और बात केवल आईओसी की मेंबर होने की ही नही है, नीता अंबानी भारत के खेल जगत कि तस्वीर बदल रहीं हैं। आज 2 करोड़ 15 लाख से अधिक युवा खिलाड़ी उनकी खेल योजनाओं से जुड़े हैं। खेल जगत में की गई उनकी अनोखी पहल का फायदा एशियाई खेलों में देखने को मिला। एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों में से 10 फीसद से अधिक रिलायंस फाउंडेशन से जुड़े हैं। 

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