महंगे तेल से राहत नहीं, डीजल पर अब कंपनियों को 5 रुपये का होने लगा घाटा
मुंबई- आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल की महंगी कीमतों से जल्द राहत मिलने के आसार नहीं है। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें ऊंची बनी हुई हैं और घरेलू खुदरा बाजार में पिछले साल से स्थिर बनी हुई है। इस वजह से सरकारी तेल विपणन कंपनियों को पंपों पर बेचे जाने वाले प्रत्येक लीटर डीजल पर पांच रुपये का का नुकसान हो रहा है। हालांकि, पेट्रोल पर एक रुपये का फायदा हो रहा है।
अप्रैल-जून तिमाही में तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल पर जमकर मुनाफा कमा रही थीं। उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम सस्ते थे। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के अनुमान के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में कंपनियों ने डीजल पर 8.6 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 9 रुपये का मार्केटिंग मार्जिन कमाया था। ब्रोकरेज हाउस की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतें न बढ़ने से चालू वित्त वर्ष में तेल कंपनियों की कमाई पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
अगस्त में जब कच्चे तेल के भाव में तेजी की शुरुआत हुई तो कंपनियों का डीजल पर मार्जिन नकारात्मक हो गया था। इस दौरान कच्चे तेल की कीमतें दो महीने में करीब 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ चुकी हैं। कुछ दिन पहले 95 डॉलर तक पहुंच गईं। हालांकि, यह अभी 92 डॉलर प्रति बैरल पर हैं। भारत की सरकारी रिफाइनरियां अपने उत्पादों की कीमत अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप तय करती हैं। यह मोटे तौर पर वैश्विक मांग-आपूर्ति के आधार पर तय होती है। कई ब्रोकरेज हाउसों का अनुमान है कि जिस तरह का माहौल है, ऐसे में कच्चे तेल का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंच सकता है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल की सस्ती होने की उम्मीदों को और तेज झटका लग सकता है।
इंडियन ऑयल को पहली तिमाही में 13,750 करोड़ रुपये जबकि भारत पेट्रोलियम को 10,644 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। इतने मोटे मुनाफे के बाद भी तेल की कीमतों में कोई कमी नहीं हुई। क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, तीनों सरकारी तेल कंपनियां आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को मौजूदा वित्त वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपये के करीब परिचालन लाभ होने का अनुमान है जो बीते वर्ष के 33,000 करोड़ रुपये का तीन गुना है। हालांकि, पहली तिमाही यानी जून से अब तक कच्चे तेल की कीमतें 30 फीसदी बढ़ चुकी है।