डूंजो की मुश्किलें बढ़ीं, को फाउंडर ने कंपनी का साथ छोड़ने का किया फैसला
मुंबई- डिलीवरी स्टार्टअप डूंजो जो कि हाइपरलोकल लेवल पर काम करने वाली स्टार्टअप कंपनी है, उसकी मु्श्किलों का दौर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में स्टार्टअप के अपना बेंगलुरु ऑफिस छोड़ा, जिसकी वजह कंपनी ने लागत कम करना बताया था। अब इसके एक को-फाउंडर दलवीर सूरी ने स्टार्टअप का साथ छोड़ने का फैसला किया है।
इस बारे में सीईओ कबीर बिस्वास ने 1 अक्टूबर को एक ईमेल के जरिए कंपनी के कर्मचारियों को जानकारी दी। बता दें, साल 2014 में शुरू हुई डूंजो को सूरी ने मई 2015 में जॉइन किया था,ये वो समय था जब डूंजो केवल वॉट्सऐप पर ऑर्डर लेता था। को-फाउंडर के रूप में सूरी ने कबीर बिस्वास, अंकुर अग्रवाल और मुकुंद झा के साथ काम किया। डूंजो के 4 को-फाउंडर होने के बावजूद, बिस्वास अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास कंपनी में इक्विटी है।
वहीं बिस्वास की डूंजो में लगभग 3.6 प्रतिशत हिस्सेदारी हैं। इसके अलावा सूरी, अग्रवाल और झा केवल एक फिक्स्ड सैलरी पर कार्यरत हैं। डूंजो ऐसे समय में है, जब यहां नकदी की कमी चल रही है। और कंपनी ऑपरेशंस को चालू रखने की कोशिश कर रही है।
वैसे तो सूरी कंपनी के सभी परिचालन देखते थे लेकिन उन पर विशेष रूप से डूंजो के बी2बी कारोबार डंज़ो मर्चेंडाइज सर्विस (डीएमएस) को बढ़ाने की जिम्मेदारी थी। डीएमएस की अब स्टार्टअप के कुल बिजनेस में बड़ी हिस्सेदारी है क्योंकि क्विक-कॉमर्स बिजनेस को कम कर दिया गया है।
यह कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि घाटा बढ़ रहा था और डूंजो को अब लागत बचानी है। इसीलिए डूंजो बेंगलुरु में अपना ऑफिस स्पेस भी छोड़ रही है। यहां तक कि तीन दौर की छंटनी में सैकड़ों कर्मचारियों को निकाला जा चुका है।