प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन नहीं रहे, किसानों के जनक रहे 

मुंबई- प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक और देश की ‘हरित क्रांति’ में अहम योगदान देने वाले एमएस स्वामीनाथन का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं। एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के सूत्रों ने बताया कि उनका कुछ वक्त से उम्र संबंधी बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था। 

स्मानीनाथन के कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था तथा उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। देश की ‘हरित क्रांति’ में अहम योगदान देने वाले स्वामीनाथन ने काफी काम किसानों के लिए किया।  

हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही नाजुक अवधि में, कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान से इतर, स्वामीनाथन इनोवेशन के ‘पावरहाउस’ और कई लोगों के लिए वह एक कुशल संरक्षक भी थे। अनुसंधान और लोगों के लिए प्रतिपालक की अपनी भूमिका को लेकर उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और अन्वेषकों पर एक अमिट छाप छोड़ी । 

भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के निदेशक ए के सिंह ने गुरुवार को कहा कि एम एस स्वामीनाथन के निधन से कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के एक ऐसे युग का अंत हो गया जो आसान इनोवेशन से भरा हुआ था। 

सिंह ने एक बयान में कहा, ‘प्रोफेसर स्वामीनाथन के निधन से कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के एक ऐसे युग का अंत हो गया जो आसान नवाचार से भरा हुआ था। यदि भगवान रोटी के रूप में गरीबों और भूखों के सामने प्रकट होते हैं जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था तो वह भगवान डॉ. स्वामीनाथन हैं जिनकी प्रत्येक भारतीय को हर रोज भोजन खाते वक्त पूजा करनी चाहिए।’ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *