सोने की कीमतों में आगे और आ सकती है तेजी, जानिए इसके क्या हैं कारण
मुंबई- ग्लोबल लेवल पर महंगाई की दर ऊंची बने रहने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता की वजह से निवेश के ‘सुरक्षित विकल्प’ के तौर पर सोने को सपोर्ट मिल रहा है। साथ ही भू-राजनीतिक तनाव ने इस अनिश्चितता को बढ़ाकर सोने की चमक में और इजाफा किया है ।
जानकारों के मुताबिक भारत सहित विश्व के अन्य केंद्रीय बैंकों की तरफ से सोने की खरीद में तेजी से भी कीमतों को मदद मिल रही है। फिलहाल घरेलू बाजार में एमसीएक्स पर सोना 59 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के आस-पास है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव 1,910 से 1,930 डॉलर प्रति औंस के बीच है।
मौजूदा कैलेंडर ईयर (2023) के अंत तक घरेलू बाजार में सोना 62 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल को पार कर सकता है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में येलो मेटल के 2,100 डॉलर प्रति औंस तक जाने की संभावना है। अजय केडिया के अनुसार जियो-पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई और केंद्रीय बैंकों की तरफ से लगातार हो रही खरीद गोल्ड के लिए प्रमुख सपोर्टिव फैक्टर्स हैं।
गोल्ड में आगे बन रही तेजी को इसी बात से समझा जा सकता है कि यूएस में लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद इसकी चमक फीकी नहीं हुई है। आने वाले फेस्टिव सीजन के दौरान खरीदारी निकलने से भी कीमतों को सपोर्ट मिल सकता है।
हालांकि ग्लोबल लेवल पर बैंकिंग संकट को लेकर बने डर के कम होने और अमेरिका में डेट-सीलिंग को लेकर जारी गतिरोध के सुलझने के बाद गोल्ड की कीमतें मई के अपने हाई से (मई 2023 की शुरुआत में कीमतें कमोबेश ऑल टाइम हाई तक ऊपर चली गई थी) तकरीबन 5 फीसदी तक टूट चुकी है।
कीमतों में तेजी की संभावना के मद्देनजर आम निवेशक फिर से सोने में निवेश को लेकर काफी उत्सुक दिख रहे हैं। लेकिन वे इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि आखिर सोने में निवेश के उपलब्ध विकल्पों में से किसे प्राथमिकता दी जाएं। सोने में निवेश आप फिजिकल या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में कर सकते हैं। लेकिन फिजिकल फॉर्म में गोल्ड खरीदना निवेश के नजरिए से बेहतर विकल्प नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में भी निवेश के दो विकल्प काफी प्रचलित हैं – गोल्ड ईटीएफ और सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (SGB)। इनमें भी सबसे बेहतर है सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड।
इस बॉन्ड का मैच्योरिटी पीरियड आठ साल का है। यानी जो निवेशक लंबी अवधि यानी 8 साल तक निवेश बनाए रख सकते हैं, उनके लिए सोने में निवेश का यह सबसे बेहतर विकल्प है। इसमें कई तरह के फायदे हैं। जैसे इस पर हर साल 2.5 फीसदी ब्याज मिलता है, 8 साल की मैच्योरिटी के बाद रिडीम करने पर कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिलती है और साथ ही एक्स्ट्रा एक्सपेंस (टोटल एक्सपेंस रेश्यो) भी नहीं है। लेकिन समस्या यह है कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड हमेशा सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध नहीं होते।
मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए दूसरी सीरीज की बिक्री 15 सितंबर को खत्म हो गई। फिलहाल SGB सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध नहीं है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए तीसरी सीरीज अक्टूबर-नवंबर से सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध हो सकते हैं।
जो निवेशक तीसरी सीरीज तक इंतजार नहीं कर सकते और उन्हें लग रहा है कि कीमतों में और तेजी की वजह से उस समय जारी होने वाले बॉन्ड का इश्यू प्राइस ज्यादा होगा, तो वे अभी भी (यानी कभी भी) डीमैट फॉर्म में स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड के लिए उपलब्ध सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं। स्टॉक एक्सचेंज पर ये बॉन्ड आम तौर पर सोने की मौजूदा कीमतों से कम यानी डिस्काउंट पर उपलब्ध होते हैं। ट्रेडेबल बॉन्ड खरीदने पर भी कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिलेगी, बशर्ते आप उन्हें उनकी मैच्योरिटी (8 साल) तक होल्ड करते हैं।
स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड के लिए उपलब्ध सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में लिक्विडिटी काफी कम होती है। इसलिए अगर आप ज्यादा वॉल्यूम में खरीदना चाहेंगे तो डिस्काउंट या तो काफी कम हो जाएगा या ट्रेडिंग प्राइस गोल्ड के मार्केट प्राइस के बराबर आ जाएगा। इसलिए आप कम वॉल्यूम में यानी कुछ यूनिट ही खरीदें। हां, आप एसआईपी की तर्ज पर हर सीरीज में थोड़ा-थोड़ा करके यानी कुछ-कुछ यूनिट भी खरीद सकते हैं। इससे आपको एवरेजिंग का फायदा भी हो जाएगा।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को पांच साल के बाद रिडीम करने का विकल्प होता है। साथ ही वैसे बॉन्ड धारक जिन्होंने डीमैट फॉर्म में भी सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड लिया है वे कभी भी स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेच/ ट्रांसफर सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर प्रत्येक वित्त वर्ष 2.5 फीसदी ब्याज भी मिलता है। लेकिन इस ब्याज पर टैक्स में छूट नहीं है। मतलब यह ब्याज अन्य स्रोतों से होने वाली आय के तौर पर आपके ग्रॉस इनकम में जुड़ जाएगा और आपको टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा। एक बात और सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड पर टीडीएस (TDS) का प्रावधान नहीं है।