आरबीआई गवर्नर ने कहा, मंदिर-गुरुद्वारा से ज्यादा पुन्य है ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रखना
मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज ऐसी बात कही है जो दिखाता है कि आरबीआई के लिए देश के जमाकर्ताओं का पैसा सुरक्षित रखना और रखवाना सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि बैंक डिपॉजिटर्स की वजह से चलते हैं। एक बैंकर के लिए मिडिल क्लास, गरीबों और रिटायर्ड लोगों की मेहनत की कमाई की सुरक्षा किसी मंदिर या गुरुद्वारे में जाने से कहीं ज्यादा पुण्य का काम होता है। शक्तिकांत दास ने ये भी कहा कि यह बैंकों की ‘सबसे बड़ी जिम्मेदारी’ है और आरबीआई की भी यह जिम्मेदारी है कि वह खाताधारकों और डिपॉजिटर्स के पैसे की सुरक्षा तय करने के लिए बैंकों के साथ मिलकर काम करें. इसके लिए देश का केंद्रीय बैंक लगातार रेगुलेटरी और निगरानी के उपाय करता रहता है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कुल नॉन परफॉरमिंग ऐसेट्स (एनपीए) बढ़कर 8.7 फीसदी हो गए हैं और आप इसे आप अच्छा नहीं मान सकते। कुल मिलाकर यह संतोषजनक स्तर नहीं है। ओवरऑल तस्वीर अच्छी दिखती है, हालांकि, ग्रॉस नॉन परफॉरमिंग ऐसेट्स (जीएनपीए) और कैपिटल एडूकेसी पर “स्थिति बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं” है।
एनपीए संकट से बेहतर ढंग से निपटने के लिए दास ने सुझाव दिया कि बेहतर आकलन के साथ क्रेडिट रिस्क मैनेजमेंट पर फोकस किया जाना चाहिए। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पेंडिंग लोन का 60 फीसदी से अधिक हिस्सा टॉप 20 विलफुल डिफॉल्टर्स का है। इस पर फोकस करने से टोटल एनपीए में सुधार करने में मदद मिल सकती है। जैसा कि हाल के समय में देखा गया है।
अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक्स (यूसीबी) में कुल 8.7 फीसदी नॉन परफॉरमिंग ऐसेट्स (एनपीए) रेश्यो को लेकर केंद्रीय बैंक ‘सहज नहीं’ है। शक्तिकांत दास ने अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक्स से इस रेश्यो को बेहतर करने के लिए काम करने को कहा. उन्होंने कहा कि यूसीबी सेक्टर कई चुनौतियों से भरा हुआ है- जैसा कि हाल में पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक में भी देखा गया।