आरबीआई ने कहा, बड़े बैंकों में एक दो सदस्यों का दबदबा, इसे खत्म करें
मुंबई- बड़े वाणिज्यिक बैंकों में एकाधिकार को लेकर आरबीआई ने सख्त रवैया अपनाया है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि ऐसा देखा गया है कि बड़े बैंकों के निदेशक मंडल यानी बोर्ड में एक या दो सदस्यों का ही ज्यादा दबदबा रहता है। यह सही तरीका नहीं है। बैंकों को इस चलन को ठीक करना चाहिए।
दास ने आरबीआई की ओर से आयोजित एक बैठक में शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के निदेशकों को संबोधित करते हुए कहा कि बोर्ड में चर्चा स्वतंत्र, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक होनी चाहिए। बोर्ड के एक या दो सदस्यों, चेयरमैन या वाइस-चैयरमैन का अत्यधिक प्रभाव या दबदबा नहीं होना चाहिए। हमने ऐसा बड़े कमर्शियल बैंकों में भी देखा है। जहां भी हमने ऐसा देखा, उनसे कहा कि यह सही तरीका नहीं है।
उन्होंने कहा कि सभी निदेशकों को बोलने का मौका दिया जाना चाहिए। किसी मामले पर किसी विशेष निदेशक की बात अंतिम नहीं होनी चाहिए। दरअसल, भारतीय बैंकिंग प्रणाली में प्रमोटर के नेतृत्व वाले यस बैंक में इस तरह की समस्याएं देखी गई थीं। एसबीआई के नेतृत्व में बाद में इसे कई बैंकों ने मिलकर समस्याओं से बाहर निकाला। यस बैंक के सह-संस्थापक और सीईओ राणा कपूर को बैंक में अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
दास ने कहा कि यूसीबी में निदेशक के पद के लिए जो लोग चुने जाते हैं, उनको बैंकिंग के विभिन्न पहलुओं, जैसे जोखिम प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी आदि में विशेषज्ञता की जरूरत होती है। प्रबंध निदेशक को जो सही लगता है उसके अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। निदेशकों के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि वे अपने संदेहों को स्पष्ट कर लें। निदेशक पहले से तैयार किए गए एजेंडा नोट्स को देखें और प्रासंगिक प्रश्न भी पूछें।