घरेलू बचत में कोई गिरावट नहीं, लोग दूसरे वित्तीय उत्पादों में कर रहे निवेश
मुंबई- वित्त मंत्रालय ने घरेलू बचत में गिरावट को लेकर हो रही आलोचनाओं को सिरे से खारिज कर दिया है। इसने कहा, लोग अब दूसरे वित्तीय उत्पादों में निवेश कर रहे हैं। ऐसे में इस गिरावट से कोई संकट पैदा होनेवाला नहीं है। मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर कहा, घरेलू बचत में पिछले कई दशकों में आई सबसे बड़ी गिरावट और इसका अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का बयान पूरी तरह से गलत है।
मंत्रालय के मुताबिक, ग्राहकों का रुझान अब विभिन्न वित्तीय उत्पादों की ओर है। इससे घरेलू बचत कम हुई है। गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक के बुलेटिन में कहा गया है कि शुद्ध घरेलू बचत वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 फीसदी रही, जो पिछले 47 वर्षों का निचला स्तर है। साथ ही, परिवारों की सालाना वित्तीय देनदारी बढ़कर 5.8 फीसदी हो गई जो 2021-22 में 3.8 फीसदी थी।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि जून 2020 और मार्च 2023 के बीच परिवारों की कुल वित्तीय परिसंपत्तियां 37.6 फीसदी और वित्तीय देनदारी 42.6 फीसदी बढ़ी। इन दोनों के बीच बड़ा अंतर नहीं है। परिवारों ने वित्त वर्ष 2020-21 में 22.8 लाख करोड़ की शुद्ध वित्तीय परिसंपत्तियां जोड़ी। वित्त वर्ष 2021-22 में लगभग 17 लाख करोड़ और वित्त वर्ष 2022-23 में 13.8 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय संपत्ति बढ़ी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शुद्ध रूप से उनकी कुल वित्तीय परिसंपत्ति अभी भी बढ़ रही है।
परिवारों ने पिछले वर्षों की तुलना में कम मात्रा में वित्तीय परिसंपत्तियां जोड़ीं, क्योंकि वे अब कर्ज लेकर घर एवं अन्य रियल एस्टेट संपत्तियां खरीद रहे हैं। बैंक जो पर्सनल लोन देते हैं, उसमें प्रमुख रूप से रियल एस्टेट कर्ज और वाहन कर्ज हैं। बैंकों की तरफ से दिये गये कुल पर्सनल लोन में इनकी हिस्सेदारी 62 फीसदी है। बाकी अन्य पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड कर्ज हैं।
होम लोन में मई 2021 के बाद से दहाई अंक में वृद्धि हुई है। इससे रियल एस्टेट संपत्ति खरीदने के लिये वित्तीय देनदारियां बढ़ी हैं। वाहन कर्ज अप्रैल 2022 से सालाना आधार पर दहाई अंक में बढ़ा है। वहीं सितंबर 2022 से सालाना आधार पर 20 फीसदी की वृद्धि हुई है। लोग बैंकों से कर्ज लेकर वाहन और मकान खरीद रहे हैं।
एनबीएफसी ने वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू क्षेत्र को पिछले वर्ष के 21,400 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 2,40,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। यह 11.2 गुना है। आलोचक इस पर गौर करना भूल गये। एनबीएफसी का बकाया खुदरा कर्ज 2021-22 में 8.12 लाख करोड़ रुपये था जो 2022-23 में 29.6 फीसदी बढ़कर 10.5 लाख करोड़ रुपये हो गया।