ईपीएफओ इस बार घटा सकता है ब्याज, 197 करोड़ रुपये का हुआ है घाटा 

मुंबई- हर वित्त वर्ष के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ब्याज दरों की घोषणा करता है। ये वह ब्याज दरें होती हैं, जिनपर पीएफ खाताधारकों को संबंधित वित्त वर्ष में उनकी जमा राशि पर इंट्रस्ट दिया जाएगा। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ईपीएफओ को ब्याज दरों की घोषणा नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। इसे जबतक वित्त मंत्रालय से मंजूरी न मिल जाए। वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बिना ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड यानी सीबीटी को वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ब्याज दरों का ऐलान नहीं करने के लिए कहा गया है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईपीएफ नुकसान में चला गया है। ईपीएफओ श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है। अभी ईपीएफओ के 7 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं। ईपीएफओ इनके इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड और इंप्लॉई पेंशन स्कीम को मैनेज करता है। वित्त वर्ष 2021-22 की बात करें तो इसके 449.34 करोड़ रुपये के सरप्लस का अनुमान था। इसी वित्त वर्ष में ईपीएफओ ने 197.72 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया है। 

ईपीएफ की ब्याज दर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 8.15 फीसदी है। पिछले वर्ष यानी 2021-22 में यह 8.10 फीसदी थी। ऐसे में यह इससे थोड़ी ज्यादा है। बता दें कि ईपीएफ खाते में ब्याज का कैलकुलेशन मासिक आधार पर होता है, लेकिन जमा वित्तीय वर्ष के अंत में किया जाता है। ईपीएफओ के सीबीटी के साथ हर साल बैठक के बाद वित्त मंत्रालय की ओर से ईपीएफ ब्याज दर निर्धारित की जाती है। 

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