एक माह में चना की कीमतें 18 फीसदी बढ़ीं, चीनी व प्याज पहले से सता रही
मुंबई- चना के भाव तेजी से बढ़ रहे हैं। महीने भर में चना के भाव एक हजार क्विंटल से ज्यादा बढ़ चुके हैं। कई सालों बाद चना न्यूनतम समर्थन मूल्य से इतना महंगा बिक रहा है। कारोबारियों के मुताबिक आगे चना की कीमतों में और तेजी आ सकती है। चना महंगा होने की वजह कमजोर आपूर्ति के बीच त्योहारी मांग निकलना मानी जा रही है।
दिल्ली के चना कारोबारी ने बताया कि बीते कुछ सालों से कारोबारियों को चना के कारोबार में खास लाभ नहीं हो रहा था। इसलिए कारोबारियों ने इसे रोककर रखने की बजाय बेचने पर जोर दिया। जिससे दो-तीन साल पुराना चना का स्टॉक अब खत्म हो गया है। चना की त्योहारी मांग भी निकल रही है। लिहाजा चना के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। एक महीने के दौरान चना के दाम 1,000 रुपये से अधिक बढ़कर 6,500 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल हो चुके हैं।
सरकार भले ही 135 लाख टन चना उत्पादन का दावा करे, लेकिन कारोबारी अनुमान के मुताबिक उत्पादन 100 लाख टन भी नहीं है। मंडियों में चना की कम आवक के आंकड़े भी बताते है कि इसका उत्पादन कम है। इस साल एक मार्च से 5 सितंबर तक मंडियों में 14.95 लाख टन चना की आवक हुई, जो पिछले साल की समान अवधि की 19.93 लाख टन आवक से 25 फीसदी कम है।
आवक कम होने के बीच मांग बढ़ने से चना की कीमतों में तेजी को सहारा मिल रहा है। बीते एक माह में चना 18 फीसदी महंगा हो चुका है। इस समय चना के भाव 6 साल के उच्च स्तर पर हैं। वर्ष 2016-17 में चना के भाव 100 रुपये किलो तक चले गए थे। इसके बाद अब चना की कीमतों में इतनी तेजी का माहौल है।
कारोबारियों के मुताबिक आगे चने की कीमतों में और तेजी आ सकती है। गुप्ता ने कहा कि चना की नई फसल अगले साल जनवरी-फरवरी में आना शुरू होगी, जबकि अभी त्योहारी मांग और मजबूत होने वाली है। नेफेड भी अपने स्टॉक से चना ऊंचे भाव पर ही बेच रहा है। यह भाव 6,200 से 6,400 रुपये क्विंटल है। लिहाजा आगे चना के भाव और बढ़ने की संभावना है। कारोबारी अनुमान के मुताबिक चना के भाव के 7,000 रुपये क्विंटल से ऊपर जा सकते हैं।