अब 10 फीसदी हिस्से वाले साझेदार भी पीएमएलए के दायरे में, सख्त हुआ नियम

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) को और कड़क कर दिया है। अब किसी कंपनी में 10 फीसदी हिस्सा रखने वाले साझेदार लाभकारी मालिकों की कैटेगरी में आएंगे। पहले यह सीमा 15 फीसदी थी। मंत्रालय ने मनी-लॉन्ड्रिंग रोकथाम नियम, 2005 में संशोधन किया है। यह नियम से वित्तीय खुफिया इकाई को जानकारी देने के लिए जिम्मेदार प्रबंधन स्तर के अधिकारी को प्रधान अधिकारी के रूप में भी माना जाएगा। 

सरकार साझेदारी फर्मों के लिए लाभकारी मालिक की परिभाषा बदल कर बेनामी गतिविधियों को रोकने का इंतजाम कर रही है। संशोधन के मुताबिक, ट्रस्ट के मामले में, रिपोर्टिंग इकाई यह सुनिश्चित करेगी कि ट्रस्टी खाता-आधारित संबंध शुरू होने या लेनदेन के समय अपनी स्थिति का खुलासा करें। यदि ग्राहक एक ट्रस्ट है, तो रिपोर्टिंग इकाई को यह सुनिश्चित करना होगा कि ट्रस्टी खाता-आधारित संबंध शुरू करने के समय या 50,000 रुपये के बराबर या उससे अधिक राशि का कोई लेनदेन करते समय स्थिति का खुलासा करें। इसमें चाहे एक लेन-देन या कई लेन-देन हों। 

सख्त अनुपालन और निगरानी सुनिश्चित करने के लिए रिपोर्टिंग इकाई को ग्राहक के लेनदेन के विश्लेषण के रिकॉर्ड भी बनाए रखने होंगे। साथ ही व्यावसायिक संबंध समाप्त होने या खाता बंद होने, जो भी बाद में हो, के बाद पांच साल के लिए ड्यू डिलिजेंस भी करना होगा। सरकार ने हाल में आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के मूल्यांकन से पहले विभिन्न मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी प्रावधानों को कड़ा कर दिया है। 

मई में वित्त मंत्रालय ने पीएमएलए प्रावधानों में बदलावों को अधिसूचित किया था। इसके तहत चार्टर्ड और कास्ट अकाउंटेंट व कंपनी सचिवों को अपने ग्राहकों से कुछ विशेष वित्तीय लेनदेन के लिए एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत उत्तरदायी बनाया गया था। इन लेनदेन में किसी भी संपत्ति की खरीद-बिक्री और बैंक खातों का प्रबंधन शामिल है। 

मार्च में पीएमएलए नियमों में संशोधन किया गया था। इसमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्तियों (पीईपी) के वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड करना जरूरी कर दिया गया था। इसके साथ ही वित्तीय संस्थानों या रिपोर्टिंग एजेंसियों को पीएमएलए के तहत गैर-लाभकारी संगठनों या गैर सरकारी संगठनों के वित्तीय लेनदेन के बारे में जानकारी एकत्र करने की जिम्मेदारी दी गई थी। क्रिप्टो एक्सचेंजों और मध्यस्थों के लिए अपने ग्राहकों और प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ताओं के लिए केवाईसी करना भी अनिवार्य कर दिया गया है। 

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