300 रुपये की नौकरी से शुरू की थी जेट एयरवेज, अब मालिक गए जेल
मुंबई- जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल इस समय ईडी (ED) की गिरफ्त में हैं। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है। ईडी ने आरोप लगाया कि बैंकों ने जेट एयरवेज को जो 6000 करोड़ का लोन दिया था, उसका बड़ा हिस्सा गलत रूप से इस्तेमाल हुआ है। नरेश गोयल के फर्श से अर्श और अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी शुरू तब हुई जब वे 18 साल की उम्र में बिल्कुल खाली हाथ दिल्ली पहुंचे थे।
बात साल 1967 की है। पटियाला में गोयल का परिवार गंभीर आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। दो वक्त की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था। गोयल अपने परिवार की आर्थिक तंगी खत्म करना चाहते थे। जब उन्होंने हाथ-पैर मारे तो एक के बाद एक सफलता मिलती चली गई।
नरेश गोयल साल 1967 में दिल्ली आए थे। उस समय उन्होंने कनॉट प्लेस की एक ट्रैवल एजेंसी में नौकरी की। यह एजेंसी उनके चचेरे नाना चला रहे थे। गोयल को यहां 300 रुपये महीने मिलते थे। धीरे-धीरे वे ट्रैवल इंडस्ट्री में अपने पांव पसारने लगे। उनके काफी सारे दोस्त भी बन गए थे। ये दोस्त खासकर जॉर्डन, खाड़ी और दक्षिण पूर्व एशिया आदि में विदेशी एयरलाइंस से थे। गोयल एविएशन सेक्टर का व्यापार समझने लगे। कुछ ही समय में उन्होंने इस बिजनस की बारीकियां समझ लीं। प्लेन लीज पर लेने से लेकर टिकट तक सब उन्हें समझ आ गया।
गोयल ने साल 1973 में खुद की ट्रैवल एजेंसी खोल ली। इसे उन्होंने जेट एयर नाम दिया। जब गोयल पेपर टिकट लेने एयरलाइन कंपनियों के ऑफिस जाया करते तो वहां लोग उनका यह कहकर मजाक उड़ाते कि अपनी ट्रैवल एजेंसी का नाम एयरलाइन कंपनी जैसा रखा है। उस समय गोयल कहा करते थे कि एक दिन वह खुद की एयरलाइन कंपनी भी जरूर खोलेंगे।
साल 1991 में गोयल का एयरलाइन खोलने का सपना पूरा हुआ। उन्होंने एयर टेक्सी के रूप में जेट एयरवेज की शुरुआत की। उस समय भारत में संगठित तरीके से प्राइवेट एयरलाइंस के संचालन की अनुमति नहीं थी। एक साल बाद उनकी जेट ने चार जहाजों का एक बेड़ा बना लिया और जेट एयरक्राफ्ट की पहली उड़ान शुरू हुई।
गोयल ने जेट को इंटरनेशनल उड़ाने भरने वाली एकमात्र कंपनी बनाने के लिए 2007 में एयर सहारा को 1,450 करोड़ रुपये में खरीद लिया। उस समय इस फैसले को गोयल की गलती के तौर पर देखा गया था। तब से ही जेट को वित्तीय मुश्किलों से सही मायने में कभी छुटकारा नहीं मिल पाया।