ज्यादा ब्याज के लिए बैंक से बेहतर कॉरपोरेट एफडी, 8 पर्सेंट तक मिल रहा ब्याज
मुंबई- आरबीआई की ओर से लगातार तीन बार रेपो दर को यथावत बनाए रखने के बाद अब स्मॉल फाइनेंस बैंकों को छोड़कर सारे बैंक एफडी पर ब्याज घटाने लगे हैं। हालांकि, कॉरपोरेट एफडी पर अभी भी 8 फीसदी तक ब्याज पाने का अवसर है।
हाल के समय में ऐतिहासिक स्तर पर पहुंची फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की ब्याज दरें अब नीचे की ओर जाने लगी हैं। अब ज्यादातर बैंक 8 प्रतिशत से कम ब्याज दे रहे हैं। ब्याज दर में हालिया कटौती में जो बैंक शामिल हुए हैं उनमें डीसीबी बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और इंडसइंड बैंक सहित अन्य बैंक शामिल हैं। इस कटौती से अब एफडी के निवेशक दूसरे विकल्प तलाशने लगे हैं। बैंकों के विकल्प के रूप में इस समय कॉरपोरेट एफडी पर 8 प्रतिशत से ज्यादा ब्याज दरें मिल रही हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह 8.50 फीसदी तक है। हालांकि, बैंकों की तुलना में कॉरपोरेट एफडी में जोखिम भी थोड़ा ज्यादा होता है। ऐसे में किसी कॉरपोरेट एफडी में निवेश से पहले उसकी अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए।
कॉरपोरेट डिपॉजिट मूलरूप से असुरक्षित संसाधन माने जाते हैं। इस तरह के एफडी मूलरूप से मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) पेश करती हैं। बैंक की तुलना में यह 0.75 प्रतिशत से लेकर 1.5 फीसदी तक ज्यादा ब्याज देती हैं। यह कंपनियां मासिक, तिमाही, छमाही और सालाना आधार पर ब्याज का भुगतान करती हैं। बैंक और एनबीएफसी को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रेगुलेट करता है, लेकिन कॉरपोरेट एफडी पर उसके नियम लागू नहीं होते हैं। यह कंपनी लॉ के तहत रेगुलेट होती है।
बैंकों की एफडी पर आपको 5 लाख रुपये तक की बीमा गारंटी मिलती है। यानी आपका पैसा डूबने की स्थिति में पांच लाख रुपये तक की रकम वापस मिलती है। पर कॉरपोरेट एफडी में इस तरह की कोई गारंटी नहीं होती है। सबसे बड़ा जोखिम क्रेडिट रिस्क का होता है। इसलिए कॉरपोरेट एफडी के जोखिम को जांचने के लिए उनकी रेटिंग अवश्य देखें। इसमें क्रिसिल, केयर और इक्रा जैसी कंपनियां रेटिंग देती हैं। इस तरह की कंपनियों के डिपॉजिट में निवेश के लिए कम से कम उनकी रेटिंग एएए या फिर कम से कम एए प्लस होनी चाहिए। हालांकि, कुछ मामलों में एएए की रेटिंग भी सुरक्षा की गारंटी नहीं होती है।
इस तरह के कॉरपोरेट एफडी में निवेश से पहले उसकी जांच-पड़ताल जरूर करें। क्रेडिट रेटिंग तो एक पैमाना है। इसके अलावा कंपनी के मुनाफे या उसके डिफॉल्ट जैसे मामलों को भी देखें। कंपनी के प्रबंधन और उसके कारोबार मॉडल को देखें। बहीखाता के साथ बुरे फंसे कर्ज और लगातार उसका ट्रैक रिकॉर्ड देखें। कंपनी का आगे का प्लान भी देखें कि कैसे वह आपके निवेश को प्रभावित कर सकती है।
इस तरह के कॉरपोरेट एफडी से पैसे की निकासी के लिए बैंकों से ज्यादा कड़क नीतियां होती हैं। अगर आप समय से पहले निकासी करते हैं तो बैंकों की तुलना में यहां ज्यादा जुर्माना लगता है। क्योंकि कंपनियां कर्ज देती हैं और ऐसे में आप समय से पहले निकासी करते हैं तो उनके सामने नकदी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। कुछ मामलों में तो कंपनियां समय पर मूलधन चुकाने में भी विफल हो जाती हैं। इसलिए ऐसी कंपनियों की तरलता की स्थिति को जरूर देखें।
इस तरह की कंपनियों के एफडी में किसी भी तरह का कर लाभ नहीं मिलता है। अगर आप ब्याज कमा रहे हैं और यह एक वित्त वर्ष में 5,000 रुपये से ज्यादा है तो कंपनी 10 प्रतिशत के हिसाब से टैक्स काटती है। अगर आपने पैन नहीं दिया तो टैक्स इससे ज्यादा कट सकता है जो 20 फीसदी तक हो सकता है। यही नहीं, अगर कोई कंपनी आपको 9 प्रतिशत ब्याज दे रही है तो इसमें से वह कुछ हिस्सा एजेंटों को भी देती है। इसलिए जमा पर उसकी कुल लागत एजेंटों के कमीशन और आपके ब्याज सहित 12 फीसदी से 10 फीसदी तक पहुंच जाती है। कुछ कंपनियां तो एजेंटों को 20 फीसदी तक कमीशन देती हैं। ऐसे में आपका पैसा एक बहुत बड़े जोखिम में फंसा रहता है।
कॉरपोरेट एफडी में वही निवेश करें, जो बहुत ज्यादा जोखिम ले सकते हैं। दो बातें ध्यान में रखें। पहला, ज्यादा ब्याज के बाद भी सभी पैसों को कॉरपोरेट एफडी में रखने से बचें। दूसरा, ऐसे साधनों में कम से मध्यम समय के लिए ही पैसे निवेश करें। छोटे निवेशकों को इस साधन में निवेश से बचना चाहिए।